Saturday, January 1, 2011

गीता अध्याय - 02

भाग - 17

पूर्णरूप से कर्म - त्याग होना संभव नहीं .....
लेकीन .....
कर्म में फल की चाह न हो की साधना........
मनुष्य को ....
कर्म - फल का ....
त्यागी बनाती है ॥
गीता - 18.11

To give up work completely is not possible for embodied being .........
But expecting to have a predesired result from the work being done ,
could be managed to be
controlled and ......
this makes one ......
Relinquisher and ....
this is the symptom of being a ......
KARMA - YOGI

गीता अध्याय - 2 के श्लोक - 2.47 के सन्दर्भ में हम यहाँ
गीता के 13 श्लोकों को देख रहे हैं जिनमें से
यह दूसरा सूत्र है ।
गीता सूत्र - 2.47 में प्रभु अर्जुन को बता रहे हैं -----
कर्मणि एव अधिकार :
मा फलेषु कदाचन ।
कर्म करना सब के बश में है लेकीन ....
कर्म के फल के बारे में सोचना ....
ब्यर्थ है ।
क्योंकि फल क्या होगा की सोच ....
मनुष्य को भ्रान्ति में रखती है और ....
भ्रान्ति तामस गुण का तत्त्व है ॥
राजस - तामस गुण के तत्त्व .....
प्रभु की ओर रुख होनें नहीं देते ॥
Gita - vector algebra को समझना यदि ....
इतना आसान होता हो ....
आज घर - घर में .....
निर्वाण प्राप्त योगी होते ॥

===== ॐ =====

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