Saturday, April 10, 2021

गीता अध्याय - 5 सार - 4

 

यह अंक अध्याय - 5 के सार का आखिरी भाग है।

⏩पिछके तीन अंको में मूलतः कर्म , कर्म - योग सम्बंधित बातों को देखा गया और अब ....

▶️ज्ञानसे ब्रह्म निर्वाण तक की यात्रा में  आज्ञाचक्र जागृत करने की ध्यान विधि की बताया जा रहा है । 7 चक्रों में छठवां चक्र आज्ञा चक्र है जिसकी सिद्धि से योगी सिद्ध योगी बन जाता है । सिद्धियों का प्रयोग यदि अपनी ख्याति बढ़ाने के लिए करने लगता है तब उसकी आगे सहस्त्रार की यात्रा खंडित हो जाती है और वह योगी ब्रह्म निर्वाण प्राप्ति न करके भोग में उतरने लगता है ।

🖕अब देखिये और समझिए ऊपर की स्लाइड को 🔼

।। ॐ ।।

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