यह अंक अध्याय - 5 के सार का आखिरी भाग है।
⏩पिछके तीन अंको में मूलतः कर्म , कर्म - योग सम्बंधित बातों को देखा गया और अब ....
▶️ज्ञानसे ब्रह्म निर्वाण तक की यात्रा में आज्ञाचक्र जागृत करने की ध्यान विधि की बताया जा रहा है । 7 चक्रों में छठवां चक्र आज्ञा चक्र है जिसकी सिद्धि से योगी सिद्ध योगी बन जाता है । सिद्धियों का प्रयोग यदि अपनी ख्याति बढ़ाने के लिए करने लगता है तब उसकी आगे सहस्त्रार की यात्रा खंडित हो जाती है और वह योगी ब्रह्म निर्वाण प्राप्ति न करके भोग में उतरने लगता है ।
🖕अब देखिये और समझिए ऊपर की स्लाइड को 🔼
।। ॐ ।।
No comments:
Post a Comment