👌 बुद्ध कहते हैं , "अप दीपो भव " और प्रभु श्री कह रहे हैं , " अपना उद्धार आप स्वयं करो "
👌 प्रभु कह रहे हैं , " मनुष्य स्वयं स्वयंका मित्र और शत्रु दोनों है , कैसे ? देखिये ऊपर स्लाइड में ^
👌योग फलित होते ही इंद्रियों में वैराग्य की ऊर्जा बहने लगती है अतः पहले अपनें कर्म को कर्मयोग में बदलते देखो , फिर कर्मयोग में स्वयं को योगारूढ़ होते देखो फिर आगे क्या होता है , वह शब्दातीत है लेकिन ब्रह्म से आत्मा का एकत्व स्थापित हो जाता है और योगारूढ़ की यह अवस्था योगी को देश - काल से मुक्त बना देती है।
देश काल क्या है ?
विज्ञान इसे Time and space कहता है ।
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