#नासिका के अग्र भाग पर ध्यान साधना के सम्बन्ध में प्रभु अर्जुनको धर्मक्षेत्र युद्ध क्षेत्र कुरुक्षेत्र में बता रहे हैं।
◆यहाँ दो बातें बताई जा रही हैं ; एक आसन साधना के सम्बन्ध में और दूसरी नासिका के अग्र भाग को आलंबन बना कर उस पर मन को निर्विचार अवस्था में रखते हुए इंद्रियों की गति का साक्षी बने रहने की साधना ।
★ नासिका का अग्र भाग दो हैं ; पहला आगे का भाग जहाँ से वायु अंदर आती और बाहर जाती रहती है । दूसरा अग्र भाग है नासिक की जड़ जो आज्ञा चक्र के साथ जुड़ी है । श्री युक्तेश्वर गिरी , परमहंस योगानंद जी के गुरु नासिका का अग्र भाग पीछे नासिकाके जड़ को मानते हैं ।
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