Tuesday, March 27, 2012

गीता एवं हम - गीता क्या है ?


महाभारत युद्ध के प्रारम्भ होनें से ठीक पहले कौरव एवं पाण्डवों की सेनाओं के मध्य सांख्य – योगी परम् श्री कृष्ण एवं अर्जुन के मध्य जो ज्ञान – विज्ञान के मूल सिद्धांत विकसित हुए उन सबको एक जगह ब्यास जी द्वारा एकत्रित किया गया और वह बन गया श्रीमद्भगवद्गीता जो लगभग 800 BCEसे आज तक विभिन्न परिस्थितियों से गुजरनें के बाद भी हम सब को जीवन के मूल सिद्धांतों की ओर देखनें के लिए आकर्षित करता है /


इंद्रिय , विषय , मन – बुद्धि , अहँकार , प्रकृति - पुरुष , आसक्ति , कामना , क्रोध , लोभ , मोह , भय ,


मैं - तूं , ब्रह्माण्ड की रचना , भूतों की रचना , समय , भोग – योग , संसार – वैराज्ञ स्वर्ग – नरक , परम - धाम एवं आत्मा के माध्य से परमात्मा के साकार – निराकार अस्तित्व को स्पष्ट जो करता है उसका नाम है श्रीमद्भगवद्गीता /


Prof. Einstein says …......


When I read Bhagavadgita and reflect about how God created this universe , everything else seems so superfluous .


वह ब्यक्ति जिसको न्यूटन का विज्ञान आकर्षित न कर सका उसे भगवद्गीता आकर्षित किया , गीता में वह कौन सा प्रसंग है जो आइन्स्टाइन को एक चुम्बक की भांति अपनी ओर खीच लिया ? अब इस सन्दर्भ में गीता का सूत्र – 8.16 देखिये -------


आब्रह्मभुवनाल्लोका:पुनारावार्तिनोऽर्जुन/


मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते//


अर्थात


ब्रह्म लोक पर्यंत सबलोक पुनरावर्ती हैं अर्थात समयाधीन हैं ; आज हैं कल समाप्त होनें वाले हैं और समाप्त हो - हो कर कहीं बनते भी रहते हैं / जन्म , जीवन एवं मृत्यु से परे कुछ नहीं है सभीं इस समय चक्र से गुजरते हैं चाहे वे जीव हों या ग्रह , उपग्रह , लोक या अन्य कोई भी सूचना क्यों न हों /


गीता का यह सूत्र पूर्ण रूप से विज्ञान का सूत्र है जिसके आधार पर आज नयी पृथ्वी की तलाश हो रही है / जहाँ विज्ञान समाप्त होता दिखता है गीता वहाँ से प्रारम्भ होता दिखता है / विज्ञान कहता है


टाइम – स्पेस से एवं टाइम – स्पेस में सब हैं और गीता भी यही बात कहता है पर आगे यह भी कहता है कि टाइम – स्पेस भी किसी से किसी में है जिसका नाम है भगवान /


Science says , “ Everything known are from and within time – space . “


and Gita says , “ Everything is from and within time – space but time is from timelessness and space is from unknowable which is nothing but the Supreme One .


====ओम्======


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