पतंजलि समाधि पाद की यात्रा जहाँ समाप्त होती है , वहाँ से साधन पाद की यात्रा प्रारंभ होती है ।
योग क्या है ? योग अनुशासनं है जो चीत्तकी वृत्तियों का निरोध करता है और दुःख - भय से मुक्त रखता है । पतंजलि और सांख्य दर्शनों का यही सार है ।
समाधि पाद के 51 सूत्रों में योग क्या है ? से यात्रा प्रारंभ हो कर समाधि में लीन हो गयी थी । समाधि टूटते ही योगी पुनः समाधि में लौटना चाहता है पर ऐसा कैसे संभव हो सकता है , इस प्रश्न का सम्यक उत्तर पतंजलि साधन पाद में देते हैं ।
साधन पाद का प्रारंभ क्रियायोग से होता है । क्रियायोग के 03 अंग अष्टांगयोग के दूसरे अंग नियम के 05 तत्त्वों में से आखिरी 03 तत्त्व हैं। पतंजलि कहते हैं , क्रियायोग सिद्धि से चित्त की वृत्तियॉं तनु अवस्था में आ जाती है । चित्त कि 05 अवस्थाएँ हैं जिनमें से चौथी अवस्था या भूमि तनु की है । तनु के बाद समाधि पांचवीं चित्त की अवस्था होती है । तनु अवस्था में चित की राजस - तामस गुणों वाली वृत्तियॉं तो शांत रहती हैं लेकिन सात्त्विक गुण आधारित वृत्ति सक्रिय रहती है । इस अवस्था में जो समाधि घटित होती है उसे सबीज या सम्प्रज्ञात समाधि कहते हैं ।
अब साधन पाद में प्रवेश करते हैं और देखते हैं निम्न स्लाइड को⬇️
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