आज पतंजलि योग दर्शन के 04 पादों में से पहला पाद समाधि पाद पूरा हो रहा हुआ ।
पाद के अंत में असम्प्रज्ञात समाधि और धर्ममेघ समाधि से परिचय हुआ ।
आगे अब हमारी यात्र साधन पाद की होने वाली है जिसमें 55 सूत्र हैं।
समाधि की अनुभूति की जिज्ञासा हर ऐसे लोगों में होती है जिनमें सात्त्विक गुण की ऊर्जा बह रही होती है लेकिन इस अनुभूति को कैसे प्राप्त करें ? इस प्रश्न का उत्तर साधन पाद में मिलेगा ।
योगानंद बहुत से सिद्ध योगियों में अपने प्रारंभिक जीवन को गुजारा और सबसे यही कहते थे कि आप हमें समाधि क्यों नहीं देते ?
योगानंद के इस प्रश्न का उत्तर महाशय जी के शिष्य सिद्ध योगी श्री रामगोपाल मजूमदार जी निम्न प्रकार से देते हैं ।
# जिस समय योगानंद जी श्री रामगोपाल मजूमदार से मिलते हैं उस समय वे 11 वीं के क्षात्र थे ।
# श्री रामगोपाल जी कहते हैं , जैसे अगर 220 बोल्ट बल्ब के अंदर यदि 440 बोल्ट की बिजली प्रवाहित कर दी जाय तो वह बल्ब भष्म बन जाएगा वैसे जहाँ और जैसी स्थिति में तुम्हारा शरीर और तुम हो , यदि समाधि दे दी जाय तो तुम्हारी भी वही हालत होगी ।
🕉️ मेरे मित्र ! समाधि में तुम्हें तुम्हारे गुरु श्री युक्तेश्वर जी भी उतार सकते हैं लेकिन अभीं तुम तैयार नहीं हुए हो । तुम अपने गुरु से भागो नहीं , उनकी ऊर्जा को पीते रहो और जब उन्हें ऐसा लगने लगेगा कि अब तुम तैयार हो , तुम्हें समाधि में उतार देंगे।
पतंजलि अपने साधन पाद में अष्टांग योग माध्यम से समाधि में उतारते हैं , कैसे ? अगले कुछ अंको में आप देख सकेंगे ।
अब देहिये स्लाइड को ⬇️
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