पतंजलि योगसूत्र के अंतर्गत साधन पाद के सूत्र - 01 में क्रियायोग के तीन तत्त्वों में से आज हम तप को समझ रहे हैं ।
इंद्रियों में सात्त्विक गुण की ऊर्जा हर पल भरी रहे और राजस एवं तामस गुणों की इन पर छाया भी न पड़नी पाए , जब ऐसी स्थिति आती है तब तप सिद्धि मिलती है ।
बिषय से बैराग्य की स्थिति प्राप्त करने के लिए जो कुछ भी किया जाता है , उसे तप कहते हैं । इस स्थिति को प्राप्त करने के उपाय हठ योग शरीर माध्यम से और पतंजलि एवं सांख्य चित्त माध्यम से प्राप्त करने की विधियों को बताते हैं ।
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