मन से भोग और मन से भगवान की यात्रा होती है
सब में स्व को देखना और स्व में सबको देखना ही ज्ञान है
ज्ञान से स्व का बोध होता है
ज्ञान से माया रहस्य खुलता है
ज्ञान से सत् का बोध होता है
ज्ञान बुद्धि में द्वैत्य – द्वंद्व नहीं बसते
आसक्ति रहित कर्म ज्ञान – योग की परा निष्ठां है
ज्ञान की मूल बुद्धि में नहीं ह्रदय में होती है
ज्ञान की पाठशाला ध्यान है
ध्यान में परिधि से केंद्र की यात्रा होती है
परिधि है संसार और केन्द्र है ब्रह्म
===== ओम्=====
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