Saturday, February 4, 2012

गीता पारस सूत्र तीन

मन से भोग और मन से भगवान की यात्रा होती है

सब में स्व को देखना और स्व में सबको देखना ही ज्ञान है

ज्ञान से स्व का बोध होता है

ज्ञान से माया रहस्य खुलता है

ज्ञान से सत् का बोध होता है

ज्ञान बुद्धि में द्वैत्य – द्वंद्व नहीं बसते

आसक्ति रहित कर्म ज्ञान – योग की परा निष्ठां है

ज्ञान की मूल बुद्धि में नहीं ह्रदय में होती है

ज्ञान की पाठशाला ध्यान है

ध्यान में परिधि से केंद्र की यात्रा होती है

परिधि है संसार और केन्द्र है ब्रह्म


===== ओम्=====



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