गीता में प्रभु के सूत्र
गीता सूत्र – 2.14
इंद्रिय सुख – दुःख क्षणिक होते हैं
गीता सूत्र – 5.22
इंद्रिय सुख – दुःख रात – दिन की भांति आते जाते रहते हैं,ज्ञानी इस बात को समझते हैं
गीता सूत्र – 18.38
इंद्रिय सुख भोग – सुख होता है जो भोग के समय अमृत सा भाषता है पर इसका परिणाम बिष सा होता है
गीता के तीन सूत्र आप को एवं हमको उस आयाम में पहुंचा रहे हैं जिस आयाम में प्रभु बसते हैं / गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं ------
इंद्रिय - बिषय के संयोग से मन को जो मिलता है वह भोग है और भोग के सुख में दुःख का बीज पल रहा होता है / कर्म – योगी वह योगी होता है जो इंद्रियों को समझता है , बिषयों को पहचानता है और मन के विज्ञान को गहराई से देखता है /
====== ओम् ======
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