Friday, February 10, 2012

गीता प्रसाद

सबमें स्व को निहारना अपनें में सब को देखना ज्ञानी के लक्षण हैं

ज्ञान सत्य का द्वार है

माया को ज्ञान से जाना जाता है

ज्ञान से अज्ञान का बोध होता है

ज्ञान से मोह की पकड़ टूटती है

कर्म योग की सिद्धि पर ज्ञान मिलता है

ज्ञानी कामना रहित होता है

संकल्प रहित ज्ञानी होता है

संदेह जिसको न पकड़ सके वह है ज्ञानी

अहंकार की छाया तक जिस पर न पड़ती हो वह है ज्ञानी

====ओम्======



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