सबमें स्व को निहारना अपनें में सब को देखना ज्ञानी के लक्षण हैं
ज्ञान सत्य का द्वार है
माया को ज्ञान से जाना जाता है
ज्ञान से अज्ञान का बोध होता है
ज्ञान से मोह की पकड़ टूटती है
कर्म योग की सिद्धि पर ज्ञान मिलता है
ज्ञानी कामना रहित होता है
संकल्प रहित ज्ञानी होता है
संदेह जिसको न पकड़ सके वह है ज्ञानी
अहंकार की छाया तक जिस पर न पड़ती हो वह है ज्ञानी
====ओम्======
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