मनुष्य का स्वभाव तीन गुणों के सहयोग से बनता है
स्वाभाव से कर्म होता है
कर्म के आधार पर सुख – दुःख का अनुभव होता है
प्रभु किसी के कर्म की रचना नहीं करते
प्रभु किसी के कर्म फल की भी रचना नहीं करते
भावातीत में हुआ कर्म मुक्ति का द्वार है
कामना दुष्पूर होती हैं
काम - कामना एवं क्रोध – लोभ में एक ऊर्जा होती है
राजस गुण के तत्त्व हैं काम . कामना क्रोध एवं लोभ
काम के सम्मोहन में आ कर मनुष्य पाप कर्म करता है
=====ओम्======
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