Tuesday, February 14, 2012

गीता के अनमोल रतन

मनुष्य का स्वभाव तीन गुणों के सहयोग से बनता है

स्वाभाव से कर्म होता है

कर्म के आधार पर सुख – दुःख का अनुभव होता है

प्रभु किसी के कर्म की रचना नहीं करते

प्रभु किसी के कर्म फल की भी रचना नहीं करते

भावातीत में हुआ कर्म मुक्ति का द्वार है

कामना दुष्पूर होती हैं

काम - कामना एवं क्रोध – लोभ में एक ऊर्जा होती है

राजस गुण के तत्त्व हैं काम . कामना क्रोध एवं लोभ

काम के सम्मोहन में आ कर मनुष्य पाप कर्म करता है


=====ओम्======


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