पतंजलि साधन पाद सूत्र : 21 - 25
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 22
सूत्र : 22 >कृतार्थ कौन है ?
कृतार्थ के लिए प्रकृतिका कोई स्वरुप नहीं , सामान्य ब्यक्ति के लिए प्रकृति का स्वरुप है ।
तीनों गुणों से अछूता , कृतार्थ कहलाता है अर्थात
कृतार्थ गुणातीत प्रभुतुल्य होते हैं ।
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 23
प्रकृति - पुरुष संयोग
सूत्र रचना ⤵
स्व स्वामिशक्तयोः स्वरुप उपलब्धि हेतुः संयोगः
भावार्थ
प्रकृति - पुरुष संयोग से भोग / कैवल्य दोनों की प्राप्ति होती है । सूत्र : 17 में महर्षि कहते हैं , द्रष्टा - दृश्य संयोग दुःख की जननी है ।
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 24
भोग - अविद्या
तस्य हेतुः अविद्या अर्थात उसका कारण सविद्या है । उसका अर्थात भोगका ।
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 25
अविद्या , दुःख - कैवल्य सम्बन्ध
सूत्र रचना
तत् अभावत् संयोग अभावः हानं तत् दृशे कैवलयं
सूत्र भावार्थ ⬇️
अविद्या का अभाव , दुःख का अभाव है और यही कैवल्य है ।
~~◆◆ ॐ ◆◆~~
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