पतंजलि साधन पाद सूत्र : 15
दुःख क्या है ?
" परिणाम ( इंद्रिय - विषय संयोग ) , ताप ( ईष्या ) , संस्कार एवं तीन गुणों की वृत्तियों में हर पल हो रहे बदलाव की निष्पत्ति दुःख है , ऐसी सोच विवेकियों की होती है । "
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 16
वर्तमान में जो कर्म हो रहे हैं , उनसे भविष्य में एवं अगले जन्म में मिलने वाले सुख - दुख के बीज तैयार हो रहे होते हैं । वे बीज अगले जन्म में अंकुरित हो कर हमें सुख - दुख देते रहते हैं । नष्ट करने वाले वे दुःख हैं जो अभीं आने को हैं ।
~~ॐ ~~6 अक्टूबर
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 17
दुःख का मूल कारण
" द्रष्टा - दृश्य संयोग दुःख की जननी है "
अर्थात इंद्रिय - बिषय संयोग दुःख का हेतु है ।
यहाँ देखिये गीता : 5.22 , 18.38 और
भागवत : 11.26.22 , 11.19.38
ये सूत्र भी यही बात कह रहे हैं ।
~~ॐ~~ 6 अक्टूबर
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