समाधि पाद में चित्त की वृत्तियों को क्षीण करने के उपायों में ईश्वर प्रणिधान दूसरा उपाय है । कुल 08 उपाय बताये गए हैं ।
साधन पाद और समाधि पाद के ईश्वर सम्बंधित सूत्रों को यहाँ दिया जा रहा है ।
ईश्वर समर्पण अर्थात परा भक्ति में स्थिर होना ; बहुत कठिन अभ्यास है लेकिन है ऊर्जा का परम श्रोत ।
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 45
नियम का पांचवां अंग - ईश्वर प्रणिधान
सूत्र रचना ⬇
" समाधि सिद्धि : ईश्वर : प्रणिधानात् "
अर्थात ईश्वर प्रणिधान से समाधि - सिद्धि मिलती है ।
ईश्वर कौन है ?
इस प्रश्नके संबंधमें समाधि पादके सूत्र : 23 - 29 को देखें जिन्हें यहां दिया जा रहा है 👇
समाधि पाद सूत्र - 23 ⬇
' ईश्वर प्रणिधानात् वा '
महर्षि समाधि पादमें सूत्र 23 से पहले अभ्यास - वैराग्य को समाधि प्राप्ति का माध्यम बताये हैं और अब यहाँ कह रहे हैं कि इसके अलावा ईश्वर - समर्पण से समाधि सिद्धि होती है ।
समाधि पाद सूत्र - 24 ⬇
ईश्वर , क्लेश , कर्म , कर्म फल और कर्माशय (संस्कार ) से मुक्त है ।
( निम्न 04 प्रकार के कर्म हैं 👇
1 - पाप 2 - पुण्य 3 - मिश्रित और 4 --निष्काम
ओके
समाधि पाद सूत्र : 25 - 26⬇
ईश्वरके सम्बन्धमें यहाँ महर्षि पतंजलि कह रहे हैं , 1 - ईश्वर अद्वितीय सर्वज्ञका बीज है ।
2 - वह अनादि - अनंत है और
पूर्व गुरुओं का भी गुरु है ।
अब देखगें ईश्वर को समाधि पाद जे निम्न सूत्रों में ⬇️
समाधि पाद - सूत्र : 27 , 28 , 29
ईश्वर को कैसे संबोधित करें ?
तस्य वाचकः प्रणव
ईश्वरका संबोधन प्रणव ( ॐ है ) /
ॐ का जप उसके अर्थ को समझते हुए करें । ऐसा करने से अपनें चेतन स्वरुप का ज्ञान होता है और योग में आनेवाली सभीं बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं ।
~~◆◆ ॐ◆◆~~20 अक्टूबर
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