Thursday, October 14, 2021

पतंजलि साधन पाद सूत्र 35 - 39

 


पतंजलि साधन पाद सूत्र : 35 

यम का पहला अंग अहिंसा 

अहिंसक ब्यक्ति की संगति से अहिंसा का भाव जगने लगता है । तन , मन एवं वचन से अहिंसक बने रहने का अभ्यास , अहिंसा - साधना है ।

पतंजलि साधन पाद सूत्र : 36

यम का दूसरा अंग सत्य 

"सत्य में प्रतिष्ठित , क्रिया और  फल का आश्रय बन जाता है ' ।

सत्य क्या है ? जो जैसा है थीक वैसे ही समझना , सत्य है । निर्गुण अवस्था में चित्त सत्य को समझता है । 


पतंजलि साधन पाद सूत्र : 37 

यम का तीसरा अंग अस्तेय 

अस्तेयका अर्थ है ,चोरी न करनेके भावमें रहना । ऐसा ब्यक्ति सभीं रत्नोंका उपस्थान होता है ।

चोरी करने की सोच का मन में न उठना , अस्तेय साधना का फल है ।


पतंजलि साधन पाद सूत्र : 38

यम का चौथा अंग ब्रह्मचर्य 

ब्रह्मचर्य में प्रतिष्ठित को वीर्य - लाभ होता है अर्थात वह  तन , मन और बुद्धि से शक्तिशाली होता है ।


पतंजलि साधन पाद सूत्र : 39 

यमका पाँचवां अंग अपरिग्रह

अपरिग्रह का अर्थ है , वस्तुओं का संग्रह न करना।  बहुत कठिन है , अपरिग्रह -साधना । 

~~◆◆ ॐ ◆◆~~15 अक्टूबर

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