यहाँ से अष्टांगयोग प्रारंभ होता है 🔽
【 साधन पाद सूत्र : 28 से सूत्र : 55 तक में अष्टांगयोग के प्रारंभिक 05 अंग हैं शेष विभूति पाद के प्रारम्भ में देखे जा सकते हैं 】
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 28
अष्टांगयोगसे क्या मिलता है ?
सूत्र रचना
योग अंग अनुष्ठानात् अशुद्धि : क्षये
ज्ञानदीप्तिरा विवेक ख्याते :
सूत्र शब्दार्थ
अष्टांगयोग अंगों के अनुष्ठान से अशुद्धियाँ नष्ट होती हैं और ज्ञान - प्रकाश विवेक ख्याति तक होता है ।
⚛ चित्तकी राजस - तामस गुणों वाली भूमियाँ निर्मूल हो जाती हैं और सबीज समाधि मिलती है ।चित्त की निम्न 05 भूमियाँ / अवस्थाएँ हैं ⬇️
इन 05 भूमियों में से क्षिप्ति , मूढ़ और विक्षिप्त राजस एवं तामस गुण प्रभावित भूमियाँ हैं जो भोग से जोड़ कर रखती हैं । शेष दो भूमियाँ सत् गुण आधारित भूमियाँ हैं जो योग से जोड़ती हैं।
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 29
अष्टांगयोग के 08 अंग
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 30
यमके 05 अंग ⬇️
(यम अंगों के संबंध में आगे बताया जाएगा )
//ॐ 10 अक्टूबर
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