Wednesday, October 20, 2021

साधन पाद सूत्र 46 - 50


पतंजलि साधन पाद सूत्र : 46

अष्टांगयोग का तीसरा अंग : आसन भाग - 1

"स्थिर सुखं आसनम् "

आसन क्या है ?

जिस देह - अवस्थामें स्थिर सुख मिले , उसे आसन कहते हैं /



पतंजलि साधन पाद सूत्र : 47 

अष्टांगयोग का  तीसरा अंग आसन भाग - 2

आसनमें पूर्ण आसीन हो कर सहज प्रयत्न द्वारा अनंत पर चित्तको स्थिर करना चाहिए ।


पतंजलि साधन पाद सूत्र : 48 

अष्टांगयोगका तीसरा अंग आसन भाग - 3

आसन सिद्धि मिलने पर योगी द्वन्द्व मुक्त रहता है ।


पतंजलि साधन पाद सूत्र : 49

(सूत्र : 49 - 53 तक )

अष्टांगयोगका चौथा अंग प्राणायाम 

भाग - 1

तस्मिन् सति श्वास प्रश्वास गति विच्छेद प्राणायाम

👉प्राणायाम > प्राण + आयाम 

सूत्र भावार्थ 👇

 आसन सिद्धि में श्वास - प्रश्वास का रुक जाना , प्राणायाम है ।

पतंजलि साधन पाद सूत्र : 50

अष्टांगयोगका चौथा अंग प्राणायाम 

भाग - 2

स तु बाह्य आभ्यंतर स्तंभ वृत्ति देश काल संख्या परिदृष्टो दीर्घ सूक्ष्म 

बाह्य > बाहर , आभ्यंतर > अंदर , स्तम्भ वृत्ति > दोनों की अनुपस्थिति 

➡ रेचक ,पूरक और कुम्भक देश , काल एवं संख्या की दृष्टि से दीर्घ एवं सूक्ष्म होने चाहिए ।

देश , काल और संख्या को समझते हैं …

श्वास को बाहर छोड़ने , अंदर लेने और दोनों के मध्य श्वास लेने की अनुपस्थिति की लंबी अवधि होनी चाहिए , उनकी संख्या कम होनी चाहिए और वे सूक्ष्म होनी चाहिए । एक सामान्य ब्यक्ति 02 सेकेण्ड में एक श्वास लेता है । इस समय को धीरे - धीरे बढ़ाना चाहिए । 

~~◆◆ ॐ ◆◆~~21 अक्टूबर


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