पतंजलि साधन पाद सूत्र : 46
अष्टांगयोग का तीसरा अंग : आसन भाग - 1
"स्थिर सुखं आसनम् "
आसन क्या है ?
जिस देह - अवस्थामें स्थिर सुख मिले , उसे आसन कहते हैं /
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 47
अष्टांगयोग का तीसरा अंग आसन भाग - 2
आसनमें पूर्ण आसीन हो कर सहज प्रयत्न द्वारा अनंत पर चित्तको स्थिर करना चाहिए ।
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 48
अष्टांगयोगका तीसरा अंग आसन भाग - 3
आसन सिद्धि मिलने पर योगी द्वन्द्व मुक्त रहता है ।
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 49
(सूत्र : 49 - 53 तक )
अष्टांगयोगका चौथा अंग प्राणायाम
भाग - 1
तस्मिन् सति श्वास प्रश्वास गति विच्छेद प्राणायाम
👉प्राणायाम > प्राण + आयाम
सूत्र भावार्थ 👇
आसन सिद्धि में श्वास - प्रश्वास का रुक जाना , प्राणायाम है ।
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 50
अष्टांगयोगका चौथा अंग प्राणायाम
भाग - 2
स तु बाह्य आभ्यंतर स्तंभ वृत्ति देश काल संख्या परिदृष्टो दीर्घ सूक्ष्म
बाह्य > बाहर , आभ्यंतर > अंदर , स्तम्भ वृत्ति > दोनों की अनुपस्थिति
➡ रेचक ,पूरक और कुम्भक देश , काल एवं संख्या की दृष्टि से दीर्घ एवं सूक्ष्म होने चाहिए ।
देश , काल और संख्या को समझते हैं …
श्वास को बाहर छोड़ने , अंदर लेने और दोनों के मध्य श्वास लेने की अनुपस्थिति की लंबी अवधि होनी चाहिए , उनकी संख्या कम होनी चाहिए और वे सूक्ष्म होनी चाहिए । एक सामान्य ब्यक्ति 02 सेकेण्ड में एक श्वास लेता है । इस समय को धीरे - धीरे बढ़ाना चाहिए ।
~~◆◆ ॐ ◆◆~~21 अक्टूबर
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