पतंजलि योगसूत्र
1 - पतंजलि योगसूत्र समाधिपाद
बिषय 👇 | सम्बंधित सूत्र | योग |
योग
| 1 , 2 , 3 , 4 , 30,31,32,33 | 08 |
चित्त वृत्तियाँ | 5,6,7,8,9,10,11 34,35,36,37,38,39,40,41 | 15 |
अभ्यास - वैराग्य | 12,13,14,15 16,17 | 06 |
समाधि | 42,43,44,45,4647,48,49,50,51 | 10 |
कैवल्य | 18,19,20,21,22 | 05 |
ईश्वर | 23,24,25,26,27,28,29 | 07
|
कुल सूत्र➡ | ➡ ➡ | 51 |
2 - पतंजलि योगसूत्र साधन पाद
बिषय | सम्बंधित सूत्र | योग |
क्रियायोग | 1 | 01 |
क्लेश और क्लेषों का नाश | 3 , 4 , 5 , 6 , 7, 8 9 , 12 , 13 ,14 , 10 , 11 | 12 |
दुःख | 15 , 16 , 17 , 25 , 26 | 05 |
दृश्य / द्रष्टा प्रकृति -पुरुष | 18 , 19 , 20 , 21 23 , 24 | 06 |
कृतार्थ | 22 | 01 |
अष्टांगयोग के 05 अंग | 28 , 29 , 30 - 55 | 28 |
समाधि | 2 , 27 , | 02 |
योग➡ | >> | 55 |
3 - पतंजलि विभूतिपाद
विषय | सम्बंधित सूत्र | योग |
अष्टांगयोग क्रमशः धारणा , ध्यान , समाधि | 1 , 2 , 3 , 7 , 8 | 05 |
संयम | 4 , 5 ,6 , 52 , 53 , 54 , | 06 |
साधना का ऊपर उठना और नीचे गिरना | 9 , | 01 |
चित्त | 10 , | 01 |
समाधि | 11 , 12 , | 02 |
भूत +इंद्रिय धर्म लक्षण | 13 , 14 , | 02 |
क्रम क्या है ? | 15 | 01 |
सिद्धियाँ | 16 - 49 (49 सिद्धियां ) | 34 |
पूर्ण वैराग्य योगी का पतन | 50 , 51 , | 02 |
अविद्या प्रकृति , पुरुष सम्बन्ध | 55 | 01 |
योग➡ | ➡ ➡ | 55 |
4 - पतंजलि योगसूत्र
कैवल्य पाद
विषय | सम्बंधित सूत्र | योग |
सिद्धि प्राप्ति के उपाय | 1 , 1 | 01 |
सिद्धि प्राप्त योगी तथा धर्म प्रकृतिको नहीं चलाते | 2 , 3 | 02 |
चित्त | 4 , 5 , 6 , 15 , 17 , 18 , 19 , 20 , 21 , 23 , 24 , | 11 |
राग | 7 | 01 |
वासनाएँ | 8 , 9 , 10 , 11 | 04 |
धर्म सहित सभी वस्तुएं त्रिगुणी हैं | 12 , 13 , 14 , 16 | 04 |
पुरुष | 22 | 01 |
धर्ममेघ समाधि और कैवल्य | 25 , 26 , 27 , 28 , 29 , 30 , 31 , 32 , 33, 34 | 10 |
योग ➡ | ➡ ➡ | 34 |
~~◆◆ ॐ ◆◆~~
कैवल्य क्या है ? भाग - 1
कैवल्य क्या है ? भाग - 2
" पुरुषार्थ का शून्या हो जाना , कैवल्य है "
श्रीमद्भगवद्गीता गीता में श्लोक - 2 54 के माध्यम से अर्जुन अपनें पहले प्रश्न में स्थिर प्रज्ञ की पहचान जानना चाहते हैं ।
इस प्रश्न के सम्बन्ध में प्रभु श्री कृष्ण के 18 श्लोक
( 2.55 - 2.72 ) हैं ।
इसी तरह अध्याय - 14 श्लोक 21 के माध्यम से
अर्जुन गुणातीत योगी की पहचान जानना चाहते हैं जिसके सम्बन्ध में प्रभु श्री कृष्ण के 50 श्लोक ( 14.22 - 16.24 ) हैं।
इस प्रकार स्थिर प्रज्ञ और गुणातीत के सम्बन्ध में प्रभु श्री के 68 श्लोक स्पष्ट रूप में दिखते हैं ।
इन 68 श्लोकों में प्रभु श्री कृष्ण जो बातें बताते हैं , उनके सार रूप में महर्षि पतंजलि के योगसूत्र कैवल्य का आखिरी सूत्र 34 है ।
// ॐ //
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