Sunday, October 10, 2021

पतंजलि साधन पाद 30 - 34

 



पतंजलि साधन पाद सूत्र : 31

अष्टांगयोग क्रमश: ⬇️

  यम के 05 अंगों का व्रत जाति ( जन्म ) , देश ( स्थान ) और समय (काल ) आदि से खंडित नहीं होनी चाहिए ।

➡इनका व्रत सार्वभौमिक हो जाना ही महाव्रत है ।

सार्वभौमिक का अर्थ है , नित्य जीवन से जुड़ जाना अर्थात जब यम के 05 अंगों का अभ्यास दैनिक दिन चर्या का एक अभिन्न अंग बन जाता है तब इसे महाव्रत कहते हैं ।

//ॐ //



पतंजलि साधन पाद सूत्र : 32 नियमके 05 अंग ⬇️

➡ शौच , संतोष , तप , स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधानि । 

साधन पाद सूत्र - 2 में तप , स्वाध्याय एवं ईश्वर प्रणिधानिको क्रियायोग कहा गया है ।

★ यम का पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करने और नियमका पूर्ण समर्पण से पालन करने से योगकी उच्च भूमियाँ मिलती हैं ।

पतंजलि साधन पाद सूत्र : 33

यम - नियम पालन 

यम - नियम पूर्ण समर्पण एवं श्रद्धाभाव में अभ्यास करना चाहिए । इस अभ्यासमें इनके प्रतिपक्ष भावनाओं से प्रभावित न हों । 


पतंजलि साधन पाद सूत्र : 34 

यम -नियम पालन क्रमशः

यम - नियम पालन में लोभ , क्रोध और मोह आधारित रुकावटें 03 रूपों में उठती हैं ; स्वयंसे करने के लिए प्रेरित करती हैं  , दूसरों से करवाने के लिए प्रेरित करती हैं या फिर अनुमोदित करनेके लिए प्रेरित करती हैं । 

इनकी तीव्रता भी 03 प्रकार की होती है ; मृदु , मध्य और तीव्र । इन वितर्कों से बचने के केवल एक उपाय यह है कि इनसे अनंत काल तक मिलने वाले अज्ञान - दुःख आदि के सम्बन्ध में गहराई से सोचें ।

~~◆◆ ॐ ◆◆~~11 अक्टूबर









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