पतंजलि साधन पाद सूत्र : 31
अष्टांगयोग क्रमश: ⬇️
➡ यम के 05 अंगों का व्रत जाति ( जन्म ) , देश ( स्थान ) और समय (काल ) आदि से खंडित नहीं होनी चाहिए ।
➡इनका व्रत सार्वभौमिक हो जाना ही महाव्रत है ।
सार्वभौमिक का अर्थ है , नित्य जीवन से जुड़ जाना अर्थात जब यम के 05 अंगों का अभ्यास दैनिक दिन चर्या का एक अभिन्न अंग बन जाता है तब इसे महाव्रत कहते हैं ।
//ॐ //
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 32 नियमके 05 अंग ⬇️
➡ शौच , संतोष , तप , स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधानि ।
साधन पाद सूत्र - 2 में तप , स्वाध्याय एवं ईश्वर प्रणिधानिको क्रियायोग कहा गया है ।
★ यम का पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करने और नियमका पूर्ण समर्पण से पालन करने से योगकी उच्च भूमियाँ मिलती हैं ।
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 33
यम - नियम पालन
यम - नियम पूर्ण समर्पण एवं श्रद्धाभाव में अभ्यास करना चाहिए । इस अभ्यासमें इनके प्रतिपक्ष भावनाओं से प्रभावित न हों ।
पतंजलि साधन पाद सूत्र : 34
यम -नियम पालन क्रमशः
यम - नियम पालन में लोभ , क्रोध और मोह आधारित रुकावटें 03 रूपों में उठती हैं ; स्वयंसे करने के लिए प्रेरित करती हैं , दूसरों से करवाने के लिए प्रेरित करती हैं या फिर अनुमोदित करनेके लिए प्रेरित करती हैं ।
इनकी तीव्रता भी 03 प्रकार की होती है ; मृदु , मध्य और तीव्र । इन वितर्कों से बचने के केवल एक उपाय यह है कि इनसे अनंत काल तक मिलने वाले अज्ञान - दुःख आदि के सम्बन्ध में गहराई से सोचें ।
~~◆◆ ॐ ◆◆~~11 अक्टूबर
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