अध्याय की एक झलक
[क] ध्याय का प्रारंभिक सूत्र अर्जुन के प्रश्न रूप में है , अर्जुन कहते हैं -----
यदि कर्म से उत्तम ज्ञान है तो आप मुझे कर्म में क्यों उतार रहे हैं ?
[ख] उत्तर के प्रारम्भ में प्रभु कहते हैं -----
दो प्रकार के योगी हैं जो मुझसे जुड़ते हैं ; सांख्य योगी ज्ञान के माध्यम से
और अन्य योगी कर्म के माध्यम से मुझ से जुड़ते हैं .
[ग] प्रश्न एक के सम्बन्ध में रभु जो कुछ भी बताए हैं उनमें दो बातें प्रमुख हैं ……..
** इन्द्रिय - बिषय ध्यान ----
** कर्म – योग
[घ ] मनुष्य पाप कर्म क्यों करता है ?
इस अध्याय में यह अर्जुन का दूसरा प्रश्न है .
अब हम आगे इस अध्याय में इन बातों पर चर्चा करेंगे
आज इतना ही
===== ओम ========
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