Saturday, March 12, 2011

गीता अध्याय - 03

कर्म -योग सूत्र - 01

यहाँ गीता के कुछ सूत्र अध्याय तीन से तथा उनके समर्थन में कुछ सूत्र अन्य अन्य अध्यायों से एकत्रित करते
यह कर्म - योग का एक मार्ग साधाना की दृष्टि से तैयार किया जा रहा है , तो आइये देखते हैं उन सूत्रों को ॥

सूत्र - 3.4
प्रभु कहते हैं :
कर्म - त्याग से नैष्कर्म - सिद्धि पाना असंभव है -----
प्रभु की यह बात अनेक प्रश्नों को खडा करती है अतः प्रश्न रहित इस सूत्र को बनानें के लिए आप निम्न
श्लोकों को भी देखें :-------
सूत्र - 18.49 - 18.50
आसक्ति रहित कर्म से नैष्कर्म - सिद्धि मिलती है ॥
सूत्र - 2.48
आसक्ति रहित कर्म , समतत्व - योग है ॥
सूत्र - 18.20
समतत्व - योगी सब को प्रभु से प्रभु में देखता है और सात्त्विक - गुनी होता है ॥
सूत्र - 2.57
समतत्व - योगी ग्यानी होता है ॥
सूत्र - 6.29 - 6.30
जो सब को प्रभु से प्रभु में देखता है प्रभु उसके लिए निराकार नहीं रहता ॥
सूत्र - 13.28 - 13.29
जो सब में प्रभु को देखता है वह सीधे परम धाम यात्रा पर होता है ॥
दस सूत्रों को आप आज अपनाओ और प्रभु में अपनें मन - बुद्धि को स्थिर करो और आगे अगले अंक में
गीता के कुछ और मोतियों को देखेंगे ॥

==== ॐ =====

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