Tuesday, March 15, 2011
गीता अध्याय - 03
गीता सूत्र - 3.5
सूत्र कहता है :----
मनुष्य कर्म करता है गुणों की ऊर्जा से ; गुण कर्म करता हैं ॥
this gita - verse says :----
three natural modes - the vital components of the nature ,
are producing the energy
in human beings which compels every one for action .
अब यहाँ गीता के दो और सूत्रों को देखते हैं :
सूत्र - 18.11 + 18.48
सूत्र कहते हैं ;----
कर्म - त्याग तो संभव नहीं लेकीन कर्म में कर्म - फल का न होना
कर्म करता को कर्म त्यागी बनाता है ॥
और अगला सूत्र कहता है :
ऐसा कोई कर्म नहीं जिसमे दोष न हों लेकीन फिरभी सहज कर्मों को तो करना ही चाहिए ॥
here Gita says :
no boby can escape from action because action is due to
three natural modes and there is nothing without modes,
these are always in all beings .
action without the hope of its fruit , makes one karm - sanaasi.
all actions are having sins but normal actions should not be avoided
which are the requirement of the nature .
action which are the essential requirement of the nature must not be avoided .
अब आप जो भी करते हैं उनको अपनें कर्म - योग का माध्याम बना सकते हैं यदि आप
गीता के कर्म - योग सूत्रों को अपनाते हैं , तब ॥
===== ॐ ======
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment