यहाँ हम इन्द्रिय , बिषय और स्वभाव के संबंधमें
गीता के कुछ सूत्रों को देखते हैं :
सूत्र - 2.14 + 5.22
इन्द्रिय - बिषय के सहयोग से जो सुख मिलता है उस सुख में
दुःख का बीज होता है और
ऐसा सुख या दुःख क्षणिक होता है
सूत्र - 18.38
इन्द्रिय - बिषय के सहयोग से जो सुख मिलता है वह भोग के समय
तो अमृत सा लगता है पर उसका परिणाम बिष मय होता है ॥
सूत्र - 3.8
सभी कर्म दोष युक्त होते हैं [ सूत्र - 18.48] लेकीन नियत कर्मों को करते रहना चाहिए और इनके करनें में कर्म - बंधनों के प्रति होश बनाना ही , कर्म - योग होता है ॥
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यह वह जगह है जहां राजा कर्ण की सेना
महाभारत - युद्ध के समय ठहरी थी
===== ॐ ======
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