Friday, March 18, 2011

गीता अध्याय - 03

यहाँ हम इन्द्रिय , बिषय और स्वभाव के संबंधमें
गीता के कुछ सूत्रों को देखते हैं :

सूत्र - 2.14 + 5.22

इन्द्रिय - बिषय के सहयोग से जो सुख मिलता है उस सुख में
दुःख का बीज होता है और
ऐसा सुख या दुःख क्षणिक होता है
सूत्र - 18.38

इन्द्रिय - बिषय के सहयोग से जो सुख मिलता है वह भोग के समय
तो अमृत सा लगता है पर उसका परिणाम बिष मय होता है ॥

सूत्र - 3.8

सभी कर्म दोष युक्त होते हैं [ सूत्र - 18.48] लेकीन नियत कर्मों को करते रहना चाहिए और इनके करनें में कर्म - बंधनों के प्रति होश बनाना ही , कर्म - योग होता है ॥


TE
View Larger MapST



यह वह जगह है जहां राजा कर्ण की सेना
महाभारत - युद्ध के समय ठहरी थी


===== ॐ ======

No comments:

Post a Comment

Followers