गीता- सूत्र 5.7
प्रभु कह रहे हैं--------
कर्म – योगी वह है जो कर्म बंधनों से मुक्त हो ।
The Supreme Lord Krishna says ------
Karma – Yogin is that who is not attached to actions .
कर्म – बंधन क्या हैं ?
सात्त्विक , राजस एवं तामस गुण जब मनुष्य को एक यन्त्र कि भाति चला रहे हों तब वह
ब्यक्ति गुणों के प्रभाव में जो कुछ भी करता है , वह उन कर्मों का गुलाम होता है
कर्म – बंधन हैं ….....
आसक्ति
कामना
क्रोध
लोभ
मोह
भय
अहंकार
और -------
जो कर्म इनके प्रभाव में होते हैं उन कर्मों में वह ऊर्जा होती है
जो करनें वाले को गुलाम बना लेती है
=====ओम=======
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