Wednesday, March 30, 2011

अध्याय तीन






गीता- सूत्र 5.7



प्रभु कह रहे हैं--------



कर्म – योगी वह है जो कर्म बंधनों से मुक्त हो ।



The Supreme Lord Krishna says ------



Karma – Yogin is that who is not attached to actions .



कर्म – बंधन क्या हैं ?



सात्त्विक , राजस एवं तामस गुण जब मनुष्य को एक यन्त्र कि भाति चला रहे हों तब वह


ब्यक्ति गुणों के प्रभाव में जो कुछ भी करता है , वह उन कर्मों का गुलाम होता है



कर्म – बंधन हैं ….....


आसक्ति


कामना


क्रोध


लोभ


मोह


भय


अहंकार


और -------


जो कर्म इनके प्रभाव में होते हैं उन कर्मों में वह ऊर्जा होती है


जो करनें वाले को गुलाम बना लेती है




=====ओम=======


No comments:

Post a Comment

Followers