Wednesday, November 11, 2009

बुद्धि केंद्रित ब्यक्ति एवं गीता --3

त्रेता-युग में राम- रावण युद्ध एवं द्वापर में महाभारत- युद्ध की कहानियां हम भारतीय लोग हजारों वर्षों से सुन रहे हैं जिनमें एक नहीं अनेक वैज्ञानिक बातें हैं लेकिन इन बातों का विज्ञान पश्चिम से निकलता है ।
यहाँ गीता का जो श्लोक लिया जा रहा है उसका सम्बन्ध दर्पण से है लेकिन भारत में दर्पण का इतिहास इतना पुराना नहीं दीखता ।
गीता-श्लोक 3.38 जैसे धुंए से अग्नि , मैल से दर्पण , जेर से गर्भ ढका रहता है वैसे ज्ञान,अज्ञान- से ढका रहता है ।
गीता के इस सूत्र में दो बातें हैं ; एक का सम्बन्ध दर्पण के इतिहास से है और दूसरे का सम्बन्ध अज्ञान से है ।
वैज्ञानिक शोध कहते हैं ----6000 BCE तुर्की में ऐसे सबूत मिले हैं जिनसे यह पता चलता है की उस समय वहाँ के लोग एक विशेष प्रकार के पत्थर को चमका कर दर्पण के स्थान पर उसका प्रयोग करते थे । 4000BCE इराक में बैबिलोंन - सुमेरु सभ्यता के लोग ताबे को चमका कर दर्पण का काम लेते थे ।
लेबनान में पहली शताब्दी में ऐसा पाया गया है की वहाँ के लोग आज के दर्पण से मिलते जुलते दर्पण का प्रयोग करते थे लेकिन--------
दर्पण का इतिहास भारत में इतना पुराना नहीं है जितना पुराना गीता है ....इस बात पर शोध की जरुरत है ।
गीता 5561BCE से 800 BCE के मध्य का हो सकता है और यदि जो गीता आज उपलब्ध है , वह इतना
पुराना है तो दर्पण के प्रमाण भी यहाँ मिलनें चाहिए ।
गीता कहता है ---काम, कामना , क्रोध , लोभ एवं मोह अज्ञान- की जननी हैं और ये तत्त्व राजस- तामस गुणों के तत्त्व हैं ।
क्रोध काम का रूपांतरण है [ गीता 3.37 ] जो राजस गुन का मूख्य तत्त्व है । काम के लिए हमें गीता के निम्न श्लोकों को देखना चाहिए ---------
3।36--3.42 , 5.23 , 5.26 , 7.11 , 16.21
गीता इन श्लोकों में बताता है ........काम,क्रोध, लोभ राजस गुन के तत्त्व हैं , काम का रूपांतरण क्रोध है और काम का सम्मोहन बुद्धि तक होता है तथा मनुष्य काम से सम्मोहित हो कर पाप करता है । राजस गुन से अप्रभावित ब्यक्ति योगी है जो हमेशा खुश रहता है । ऐसा योगी जो आत्मा केंद्रित होता है उस पर काम का सम्मोहन नहीं होता । निर्विकार काम परमात्मा है ।
राजस- तामस गुणों के प्रभाव में अज्ञान ज्ञान के ऊपर चादर फैला कर रखता है ।
काम प्रकृति द्वारा निर्विकार ऊर्जा के रूप में एक प्रसाद मिला हुआ है जो एक तरफ़ वासना के माध्यम से नरक मेंs ले जाता है तो दूसरी तरफ़ प्यार के माध्यम से परम धाम में भी पहुंचा
सकता है ।
=====ॐ======

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