Friday, November 20, 2009

गीता ज्ञान - 4

नायं हन्ति -------
गीता श्लोक 2.19--2.20 को एक साथ मिलानें पर जो रस मिलता है वह इस प्रकार से होगा ......
नायं हन्ति न हन्यते ------
न हन्यते हन्यमाने शरीरे ----
इन श्लोकांशो का हिन्दी रूपांतरण को देखिये --------
न मारता है , न मरता है ...
शरीर समाप्ति पर भी जो रहता है .....
वह है.....
आत्मा ।
बीश्वीं शताब्दी के कुछ नोबल पुरष्कार बिजेताओं जैसे ----
Roger Welcot Sperry[1981], Wilder Penfield[1891- 1976], John Eccles[1963],
schrodinger[1933] तथा Max Plank[1918] मन एवं चेतना तक की यात्रा करनें की बातें तो की है लेकिन
वैज्ञानिक समुदाय से जुड़े रहनें के भय के कारण आत्मा शब्द को अपनें से कुछ दूर रखा , यह उनलोगों की
अपनी- अपनी लाचारी रही होगी ।
अब परम श्री कृष्ण को देखिये ---परम श्री कृष्ण गीता श्लोक 2.25 में कहते हैं .........
आत्मा अचिन्त्य - अब्यक्त है और गीता श्लोक 4.38 में कहते हैं .............
योग सिद्धि पर ज्ञान के माध्यम से आत्मा का बोध होता है और --------
मोह में डूबे अर्जुन को मोह मुक्त करानें के लिए गीता में सबसे पहले आत्मा पर बोला है ....ऐसा उन्होंनें क्यों किया?
इस बात पर आप को सोचना है , मेरा काम है आप में वह लहर उठाना जो आप को गीता से बाँध कर रखे।
गीता में यदि आप आत्मा के राज को देखना चाहते है तो छः अध्यायों के निम्न 23 श्लोकों को अपनाइए .......
2.18--2.30, 10.20, 13.17, 13.32, 13.33, 14.5, 15.7-15.8, 15.11, 15.15, 18.61
गीता के इन श्लोकों से जो मिलता है वह कुछ इस प्रकार होगा -------
देह में आत्मा का केन्द्र ह्रदय है लेकिन यह देह के हर कण में है । आत्मा भौतिक, रासायनिक एवं अन्य
प्रक्रियाओं से परिवर्तीत नहीं किया जा सकता , यह रूपांतरित नहीं किया जा सकता यह निर्विकार है , यह देह में
कुछ करता नहीं है लेकिन बिना इसके देह में कुछ होना सम्भव भी नहीं है । आत्मा देह में परमात्मा है जो
द्रष्टा है । यह अब्यक्त , निर्गुण , स्थिर है जो शरीर समाप्ति पर मन के प्रभाव में नया देह तलाशता है जिससे मन
तृप्त हो कर निर्विकार हो कर अपनें मूल - परमात्मा में मिल सके । देह में आत्मा को तीन गुन रोक कर रखते हैं
अर्थात प्रकृति-पुरूष को जोड़ कर रखनें का काम गुन करते हैं । विज्ञानं में- कण-विज्ञान [Particle Physics]
में भार रहित अस्थिर कण तो अनेक हैं लेकिन भार रहित स्थिर कण कोई नहीं , जिस दिन भार रहित स्थिर कण
या माध्यम विज्ञानं को मिल जाएगा उस दिन से विज्ञानं आत्मा - परमात्मा की खुशबूं पानें लगेगा ।
विज्ञानं के माध्यम से आत्मा के नजदीक पहुंचनें का माध्यम है quantum mechanics,आप इस बिषय को
अपना कर कुछ-कुछ आत्मा - रहस्य के नजदीक अपनें को पा सकते हैं ।
=====ॐ========

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