Wednesday, November 4, 2009

एक और संसार है - 4

क्या आप जानते हैं ?
# निजाम हैदराबाद रात में अपना एक पैर नमक से भरे एक लोटे में डाल कर रखते थे क्योंकि
भूत-प्रेतों से उनको भय था।
# महान मनो चिकित्सक सिगमंड फ्रायड को भूत- प्रेतों से डर लगता था ।
# Oliver Joseph Lodge[1851-1940 AD ] जो विश्व ख्याति के वैज्ञानिक थे जिनको माइक्रो-वेव , स्पार्क प्लग , वाकूंम ट्यूब , बेतार का तार आदि शोधों का श्रेय मिला हुआ है , वे कहते हैं---विज्ञान की आज की बात कल गलत साबित होनें ही वाली है लेकिन भूत- प्रेतों की बात सत है और सत ही रहेगी ।
# प्लेटो [ 427-347 BCE ]का कहना है----शरीर समाप्ति के बाद भी कुछ है ।
# २०वी शताब्दी में L.Rom Habbard तथा Edgar Cayce पिछले जन्मों के आधार पर एक नहीं अनेक
ऐसे काम किए जिनसे शरीर समाप्ति के बाद का रहस्य स्पष्ट होता है ।
# गुर्जियाफ़ के शिष्य P.D.Ospensky मौत के आखिरी क्षण को देख कर बोले --शरीर तो समाप्त हो गया है
लेकिन मैं अभी हूँ ।
विज्ञान कहता है ------
ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही समाप्त किया जा सकता है । आत्मा इस देह में प्राण-ऊर्जा
के रूप में है फ़िर इस ऊर्जा का शरीत समाप्ति पर क्या होता है ?
विज्ञान यह भी कहता है ----भारी तारे जब मरते हैं तब वे black hole में बदल जाते हैं । ब्लैक होल में
इतनी शक्ति होती है की वे आस-पास के तारों को अपनें अंदर खीच लेते हैं और भूत-प्रेतों में भी असीमित
ऊर्जा होनें की बात कही जाती है ।
गीता-सूत्र 8.6 , 15.8 को एक साथ देखनें से मालुम होता है ---सघन अतृप्त कामनाएं मनुष्य जब शरीर
छोड़ता है तब मन के साथ आत्मा के साथ होती हैं और ऐसा आत्मा भ्रमणकारी होता है जो कामनाओं को
पूरा करनें के लिए यथा उचित माध्यम की तलाश करता रहता है ।
वैज्ञानिकों का ब्लैक होल और भूत-प्रेत क्या एक जैसे नहीं दीखते ?
आप उस आत्मा के सम्बन्ध कैसा विचार रखते हैं जो है तो निर्विकार लेकिन उसकी ऊर्जा का प्रयोग करके
मन उसे भी ऐसा बना देता है जो बाहर - बाहर से स विकार जैसा दीखता है ?
गीता का प्रारम्भ विज्ञानं से यदि होता है तो उत्तम है लेकिन रास्ते में विज्ञान कहीं भी सरस्वती नदी की तरह
गीता- गंगा में लुप्त हो सकता है , यदि ऐसा हुआ तो अति उत्तम ।
====ॐ=====

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