Thursday, November 4, 2010

ब्रह्म और योग


गीता कह रहा है :

## योगयुक्त योगी को ब्रह्म की अनुभूति होती है लेकीन -----
योग में बिना उतरे, संन्यासी बनना कष्ट प्रद होता है ॥
गीता सूत्र - 5.6

## योग युक्त योगी कर्म बंधनों से मुक्त रहता हुआ ----
निर्विकार रहता है ॥
गीता सूत्र - 5.7

## सम भाव में उतारा योगी -----
ब्रह्म की अनुभूति वाला होता है ॥
गीता सूत्र - 5.19

गीता के तीन सूत्र , आप के लिए जो ....
आप के आज को कल की चिंता से मुत्क्त कर सकते हैं .....
तो ----
आप इनको अपनाईये ॥

==== ॐ ====

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