Wednesday, May 20, 2009

परमात्मा --10

अभी तक हम परमात्मा को भाव रूप तथा निराकार रूप की दृष्टि से समझ रहे थे लेकिन अब हम परमात्माको साकार रूप में समझनें की कोशिश करनें जा रहे हैं ।
गीता में परम श्री कृष्ण कहते हैं --------------------
ब्रह्मा[13.16] , विष्णु[11.50, 13.15], शंकर[11.6], श्री राम[10.31], श्री कृष्ण[7.6, 7.7], अर्जुन[10।37],
कुबेर[10.23], कपिल मुनि एवं नारद[10.26], बृहस्पति[10.24], प्रहलाद[10.30] और मनुष्यों में
राजा[10.27] --मैं हूँ ।
यहाँ आप गीता के बारह सूत्रों में परम श्री कृष्ण के बारह रूपों को देखा , यह आप पर है की आप किस रूप
से आकर्षित होते हैं ।
यदि श्री कृष्ण अर्जुन हैं फ़िर क्या परमात्मा परमात्मा को भय-मुक्त करानें के लिए गीता-उपदेश दे रहे हैं ?
ब्रह्मा , विष्णु एवं महेश रूपों में परम मनुष्य के आदि , मध्य एवं अंत के रूप में परमात्मा को बताना चाहते हैं ।
भक्त के रूप में एक तरफ़ नारद को परमात्मा कहते हैं तो दूसरी तरफ़ स्वयं को शांख्य योगी के रूप में
कपिल मुनि कह रहे हैं । कपिल मुनि को शांख्य-योग का प्रारम्भ माना जाता है , कुबेर रावण का भाई था
जिसको धन का देवता माना जाता है ; यहाँ आप को सोचना पडेगा --धन का स्थान कहाँ है ?
बृहस्पति को असुरों का गुरु कहा जाता है , बृहस्पति के पुत्र कच जब ऋषिकुल से शिक्षा प्राप्त करके वापस
आए तो बहुत अतृप्त एवं ब्याकुल रहते थे , ब्रिहस्पतिजी पूछे की बात क्या है , तुम्हें तो पूर्ण शांत होना चाहिए था ,
पर मैं कुछ और ही देख रहा हूँ --बेटा ! शान्ति -शास्त्र पड़नें से नही मिलती , शान्ति तब आती है जब
त्याग-भाव की लहर ह्रदय में उठती है ,
वैज्ञानिक कहते हैं --यदि बृहस्पति ग्रह न होता तो पृथ्वी का अस्तित्व अब तक समाप्त हो गया होता ।
क्या आप जाने हैं ---बृहस्पति के 112 उपग्रह हैं और वहाँ 09 घंटा तथा 50 मिनट का रात-दिन होता है ।
गीता में 120 श्लोक ऐसे हैं जो किसी न किसी रूप में परमात्मा की ओर इशारा करते हैं , आप यदि भागना
भी चाहेंगे तबभी भाग नही पायेंगे , आप को गीता चारों तरफ़ से परमात्मा में खिचता ही रहेगा ।
जब आप में परमात्मा की लहर उठेगी तब आप मुझे क्या अपनें को भी नही पहचान पायेंगे ।
=====ॐ=======

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