Sunday, May 10, 2009

परमात्मा क्या है ? ----4

क्या आप जानते हैं की परम श्री कृष्ण के बासुरी की धुन आज भी गूँज रही है ?
क्या आप उस धुन को सुनना चाहते हैं ?
यदि आप का उत्तर हाँ है तो आप अपनें मन-बुद्धि को इन बातों पर बसायें
कहते हैं -------
जब परम की बासुरी बजती थी तब उस क्षेत्र के सभी पशु , पंछी तथा पेड़-पौधे भी मंत्र मुग्ध हो जाते थे ।
परम की बासुरी जहाँ गूंजती थी उस क्षेत्र में एक अलग प्रकार की ऊर्जा प्रवाहित होती थी जिसमें सम्मोहन
की शक्ति होती थी ।
आज विज्ञान कहता है ---संगीत के प्रभाव में जो फूल खिलते हैं उनमें कुछ अलग पन होता है तथा
संगीत से गायों की दूध देने की क्षमता बढजाती है ।
आइये अब हम धुन - संगीत के माध्यम से गीता में परमात्मा को समझते हैं ।
यहाँ आप को गीता के निम्न श्लोकों को गहराई से पकड़ना पडेगा ।
गीता-सूत्र 10.26, 7.8, 9.17, 17.23, 10.25, 10.35, 10.33, 8.20, 8.21, 10.22
गीता में परम श्री कृष्ण कहते हैं --------
पीपल का पेंड , आकाश में शब्द , ओंकार , गायत्री-मन्त्र मैं हूँ ।
कभी आप पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर देखना --पीपल के पत्ते हवा की अनुपस्थित में भी नाचते रहते हैं ।
पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर आप उसके पत्तों के संगीत को सुनना , उस संगीत में आप को ॐ की धुन
मिलेगी । कभी आप अकेले एकांत में अपनें कमरे में गायत्री-मन्त्र को एक लय में आँखे बंद करके
गुनगुनाना , जब आप कई दिन ऐसा करेंगे तो बाद में आप को गुनगुनाना नही पडेगा, कमरे की दीवारों से
गायत्री की धुन स्वतः निकलती होगी --आप ऐसा करके देखें ।
संगीत की धुन भी एक माध्यम है और माध्यम माध्यम है जो रोकनें का काम नही करता , आगे खीचता
रहता है , आप को भी कही रुकना नही है , आगे चलते रहना है ।
संगीत की धुन के साथ एक भाव अंदर उठाता है इस भाव को आप बुद्धि में न आनें दे , इसको पकड़ कर
आप भावातीत में कदम रख सकते हैं जो परमात्मा का आयाम होता है । गीता कहता है ----
ब्यक्त से अब्यक्त , अब्यक्त से अब्याक्तातीत की यात्रा का नाम साधना है और अब्यक्त-भाव ही परम धाम है
गीता को लोग रखते तो हैं लेकिन समझनें में उनको अड़चन आती है क्योंकि गीता से भोग साधनों की
प्राप्ति तो होती नही , भोग-भावों का उठना ही बंद हो जाता है ।
आप ज़रा सोचो ----
भोग को कौन छोड़ना चाहता है ? और गीता भोग से दूर करता है यह बता कर की ------
तुम भोग से भोग में तो हो ही फ़िर परेशान क्यों हो , यदि भोग में परेशानी है तो भोग से बाहर की भी
यात्रा करके देखो क्या पता वहाँ तुझे वह मिल जाए जिसकी तुझे तलाश है ।
क्या बात है की संगीत शरीर में एक लहर पैदा कर देता है ?
=====ॐ========

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