क्या आप जानते हैं -----
भगवान् राम सूर्य वंशी क्षत्रिय थे ?
मिस्र के फराह राजा लोग सूर्य की पूजा करते थे ?
मक्सिको के आदि मानव सूर्य की पूजा करते थे ?
मिस्र - सुडानके मध्य लगभग सुडान की राजधानी खातुमसे 200 किलो मीटर उत्तर पश्चिम में नील नदी - घाटी में
कुश राजाओं की पिरामिड्स मिली हैं जो 2700BCE-350 CE की मानी जाती हैं । ये कुश राजा लोग भी
सूर्य बंशी राजा थे । क्या यह सम्भव नही की ये लोग भगवान् राम के बंसज रहें हो ?
आइये ! अब हम गीता के कुछ और सूत्रों को देखते हैं जो परमात्मा से सम्बंधित हैं ।
गीता-सूत्र 10.21 , 7.8
परम कहते हैं .....मैं सूर्य - चन्द्रमा हूँ और इनका प्रकाश भी मैं ही हूँ ।
गीता-सूत्र 9.19, 15.12
यहाँ परम कहते हैं .....सूर्य-चन्द्र और अग्नि का तेज मैं हूँ ।
गीता सूत्र 7.9, 9.16
परम कहते हैं ....अग्नि और अग्नि का तेज मैं हूँ ।
अब आप भारत की स्थिति को देखना------
हम लोग कब से गीता को पढ़ रहे हैं और कब से सूर्य को जल चढ़ा रहे हैं पर इस पूजा से क्या पाया ?
Carl Max Planck नें अग्नि के तेज में वह विज्ञान पाया जो उनको 1918 में नोबल पुरस्कार दिलवाया । संभवतः आप को नही मालुम होगा की प्लैंक भी गीता पढ़ते थे ।
आधुनिक विज्ञान के महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टाइन सूर्य के प्रकाश के आधार पर आधुनिक विज्ञान
की वह गणीत तैयार किया जो मानव को चन्द्रमा पर पहुंचा दिया , ये भी गीता पढ़ते थे ।
भारत में एक सर सी.वी.रमन को छोड़ कर क्या कोई सूर्य के प्रकाश में परमात्मा को देखनें की कोशिश किया है ?
शायद कोई ऐसा वैज्ञानिक भारत में और नही पैदा हुआ ।
हम भारतके लोग कुछ करना नही चाहते पर पाना सब चाहते हैं , क्या बिना किए पाना सम्भव है ?
हमारी सोच यह है की ----हम करें कुछ भी नही और परमात्मा हमारी सभी कामनाओं को पूरा करता रहे । हम परमात्मा की पूजा करते हैं उसको बदलनें के लिए , हम चाहते हैं की हमारी पूजा परमात्मा को गुलाम बनाकर हमें देदे और हम उसे मोटर बाईक की तरह इस्तेमाल करते रहें ।
परमात्मा क्या उतना ही बेवकूफ है जितना हम सब हैं ?
हमारे योगिओं नें खुली आँख से पूरे ब्रह्माण्ड को देखा और आज का भारतीय वैज्ञानिक सभी साधनों के होते हुए भी कुछ नही देख पा रहा , हाँ जब भी देखता है तब पश्चिम की तरफ़ देखता है ।
परमात्मा सब कुछ दिया है , लेकिन करना तो हमें ही पडेगा ।
=======ॐ========
Monday, May 18, 2009
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