Friday, May 1, 2009

गीता का कृष्ण

औलिया मंसूर [857-922 AD] को बसरा शहर , इराक , की गलियों में बोटी-बोटी करके फेक दिया
गया था ---उनका कसूर क्या था ? क्योकि उन्होंने कहा --अनल हक

औलिया सरमद के सर को बादशाह औरंगजेब सन 1659 में दिल्ली के जामा मस्जिद की सीढियों पर
कलम करवाया था , उनका कसूर क्या था ? क्योकि उनका कहना था --------
ला इलाही इल अल्लाह

आदि शंकराचार्य [ 788-820 AD ] कहते थे ---अहम ब्रह्मास्मि

स्वामी रामतीर्थ [ 1873-1906 AD ] से लोगों ने पूछा चाद-तारों को किसनें बनाया , उनका जबाब था -----
मैनें

गीता में कुल ७०० स्श्लोक हैं जिसमें से ५५६ श्लोक श्री कृष्ण के हैं और उनमें से १०० से अधिक सूत्र परमात्मा को स्पष्ट करते हैं जिनमें श्री कृष्ण स्वयं को परमात्मा बतानें के लिए २०० से अधिक उदाहरण भी देते हैं । गीता में श्री कृष्ण का आखिरी सूत्र है --१८.७२ ।
अब आप देखिये आगे क्या होता है ---एक तरफ़ तो गीता का अंत हो रहा है तथा परम स्वयं को परमात्मा
बता रहे हैं --कहते हैं बस तू मेरे शरण में आजा , तेरी परेशानी समाप्त हो जाएगी और दूसरी तरफ़ गीता सूत्र
१८.६२ में कहते हैं ---------
हे भारत ! तू उस परमात्मा की शरण में जा उसकी कृपा से तू परम शान्ति प्राप्त कर सकता है और परम
धाम की प्राप्ति भी हो सकती है । यहाँ आप जरा सोंचे --क्या अर्जुन परम की इस बात को सुनें होंगे , नही सुना ,नही तो वे प्रश्न करते की वह परमात्मा कौन है , अभी तक तो आप स्वयं को ही परमात्मा बता रहे थे ।
आगे चल कर हम गीता के परमात्मा को भी देखेंगे और यह भी देखेंगे की ऐसी बात श्री कृष्ण क्यो कहे ?
====ॐ======

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