सत्य क्या हैं ?
आदि गुरु शंकाराचार्य कहते हैं ........ ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या --- अर्थात ब्रह्म सत्य है और यह संसार जिसमे सभी ब्यक्त सूचनाएं हैं , मिथ्या है । गीता सूत्र - 2.28 में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं ..... जो है जड़ एवं चेतन सभीं अब्यक्त से अब्यक्त की अपनी - अपनी यात्रा के मध्य में ब्यक्त हैं --- अर्थात हम अब्यक्त से निकले हैं और अब्यक्त की ओर जा रहे हैं , यह ब्यक्त का आभाष बहुत लंबा नहीं है । मनुष्य का जीवन है कितना लंबा ? लगभग 70 बर्ष के बाद की उम्र ऎसी है जो किसी के ऊपर भार सी होती है । सत्तर साल में प्रारम्भिक पच्चीस साल तो अन जानें में निकल जाते हैं , शेष बचे
पैतालीस साल जिसमें आधा समय रात में निकल जाता है अब शेष बचे लगभग बाईस वर्ष , इस जीवन में एक नहीं अनेक काम में उलझा मनुष्य धीरे - धीरे एक दम तनहा होता चला जाता है , बूढ़े माँ - पिता एवं बच्चों की फिक्र , संसार में नंबर एक होनें की सोच -- काम इतनें और समय ?
गीता कहता है --- संसार में दो प्रकार के लोग हैं ; एक वे हैं जिनकी बुद्धि में भोग ही सब कुछ है , जो लोग प्रभु की आस्था में विश्वास नहीं रखते और एक वे हैं , जो संसार को प्रभु के फैलाव रूप में देखते हैं , पर आज इस श्रेणी के लोग दुर्बभ हैं । इस वैज्ञानिक युगमें भारत में अनगिनत गुरु हर साल निकलते हैं , पुरानें मंदिर मर रहे हैं , कोई झाड़ू देनें वाला नहीं और पांच सितारा वाले आश्रम उग रहे हैं । आज सत गुरु पाना दुर्लभ है और यदि भूल से कोई सामनें आ भी जाए तो उसे हम कैसे पहचानेंगे , हमारे पास है क्या उसे परखनें के लिए ।
गीता सूत्र 4.34 - 4.35 प्रभु अर्जुन से कहते हैं ---तूं किसी सत गुरु की शरण में जा , वहाँ तेरेको ज्ञान मिलेगा , ज्ञान से
तेरा मोह समाप्त होगा और तब तूं सत को समझेगा एवं देखेगा , मेरे से मेरे में यह ब्याप्त संसार है ।
सत वह है जो अपरिवर्तनीय है , जो तब था जब कुछ न था , आज है जब पूरा संसार भरा पडा है और सदा योंही
रहेगा । गीता कहता है --- तीन गुणों की मेरी माया जब तक कोई समझ कर उसके पार नहीं पहुंचता , तबतक
वह मुझे - अर्थात परम सत्य को नहीं समझ सकता । जिसनें माया को जाना उसनें बोला -----
** ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या
** अहम् ब्रह्माष्मी
** अनल हक
लगे रहना है आज नहीं तो कल , इस जनम में ना सही अगले जनम में सही एक दिन हम भी सत को जरूर देखेंगे ।
===== ॐ =====
Sunday, August 8, 2010
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