Tuesday, August 24, 2010

गीता अमृत - 12


सत को कैसे छूएं ?

गीता सूत्र - 2.53 कहता है ---

वेदों एवं अन्य धार्मिक प्रशंगों में न उलझ कर स्थिर मन वाला समाधि के माध्यम से सत में पहुंचता है ॥

इस सूत्र के बाद अर्जुन प्रश्न पूछते हैं -----

समाधि में स्थित स्थिर मन वाले की क्या पहचान है ? प्रभु के उपदेश में अर्जुन का मात्र इतना सम्बन्ध है की उन बातों से अगला प्रश्न कैसे बन सकता है ? ऎसी सोच वाला भक्ति में कैसे पहुँच सकता है ?

क्या बिना समाधि , सत को जानना संभव नहीं ?
सत साधना का फल है , सत ही ज्ञान है [ गीता - 4.38 ] जिसको प्राप्त करता स्थिर मन - बुद्धि वाला होता है ।
स्थिर मन - बुद्धि वाला कौन होता है ?

वह होता है जिसकी ------
इन्द्रियाँ उसके बश में हों
जो बिषयों के रहस्य से वाकिब हो
जिसके जीवन का केंद्र प्रभु के अलावा और कुछ न हो
जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को प्रभु के फैलाव के रूप में देखता हो
जो सब में प्रभु को और सब को प्रभु में देखता हो
जो प्रकृति में जो होरहा है उसका द्रष्टा हो

===== ॐ =====




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