पतंजलि समाधि पाद सूत्र : 8 - 9
चित्त की वृत्तियाँ ; विपर्यय और विकल्प
# विपर्यय अर्थात सत्य को असत्य और असत्य को सत्य समझना : यह स्थिति राजस - तामस गुणों के प्रभाव में अविद्या के कारण आती है।
# विकल्प अर्थात किसी वस्तु का सर्वमान्य ग्रंथों में दिए गए वस्तु वर्णन के आधार पर चित्त में उसका एक नक्शा बना लेना जैसे भूत - प्रेत , देवी - देवता जिनको प्रमाण के आधार पर नहीं समझा जा सकता अतः उनके सम्बन्ध में धार्मिक ग्रंथों में दिए गए वर्णनों के आधार पर मान लेते हैं ।
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