महर्षि पतंजलि समाधि पाद सूत्र - 20
💐 यहाँ महर्षि दो बातों की ओर ध्यान केंद्रित करा रहे हैं ...
1 - जिनके पास स्लाइड में बताये गए 05 गुण हैं समझो वे कैवल्य के द्वार को खटखटा रहे हैं और दूसरी बात ....
2 - अष्टांगयोगाभ्यास में जिनको धारणा , ध्याम और समाधि एक साथ एक स्थान पर एक ही समय घटित हो रही हो , वे भी कैवल्य द्वार पर खड़े हैं , ऐसा समझना चाहिए ।
👌आगे चल कर हम देखेंगे कि अष्टांगयोग के 08 अंग हैं जिनमें आखिरी 03 अंग ध्यान , धारणा और समाधि हैं । ध्यान रखें कि यह समाधि सबीज समाधि या संम्प्रज्ञात समाधि होती है जिसके सम्बन्ध में पिछले अंक में देखा गया है ।
👌 धारणा , ध्यान और समाधि की सिद्धि एक साथ जब मिलती रहती है तब इसे संयम कहते हैं ।
संयम सिद्धि से असम्प्रज्ञात समाधि में पहुंचा जाता है और असम्प्रज्ञात समाधि सिद्धि से कैवल्य में तब पहुंचा जा सकता है जब साधना में लगातार उच्च भूमि की और चित्त का रुख बना रहे ।
कैवल्य क्या है ?
पतंजलि कैवल्य पाद में बताते हैं कि ...
पुरुषार्थ का शून्य हो जाना , कैवल्य है अर्थात गुणातीत की स्थिति में पहुंचना , कैवल्य है जहाँ अर्थ , धर्म , काम और मोक्ष प्राप्ति की चाह - शून्यता होती है /
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