पतंजलि योग सूत्र में वितृष्णा क्या है ?
💐 इंद्रियों का रुख उनके बिषयों की ओर न हो कर चित्त की ओर हो जाना ....
💐 कबीर दास जी कहते हैं , पुतलियों को उलटी कर लेना
💐 गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं , इंद्रिय - बिषयों में सघन राग -द्वेष की ऊर्जा होती है जो इंद्रियों को बिषयों से आकर्षित होने के लिए बाध्य करती है ।
# इन्द्रिय - विषय से वैराग्य तक की यात्रा और वैराग्य में समाधि माध्यम से ज्ञान की प्राप्ति का जो मार्ग वेदांत दर्शन के आधार पर गीता में बताया गया है , उसी ज्ञान के लिए पतंजलि अष्टांगयोग साधना के माध्यम से सम्प्रज्ञात समाधि और सम्प्रज्ञात समाधि से असम्प्रज्ञात समाधि तथा असम्प्रज्ञात समाधि से कैवल्य तक की यात्रा कराते हैं । इस यात्रा का मध्य पड़ाव है - इंद्रियों में वितृष्णा की ऊर्जा का भरजाना ।
अब देखते हैं निम्न स्लाइड को ⬇️
No comments:
Post a Comment