पतंजलि योगसूत्र समाधि पाद सूत्र : 5 + 6
💐यहाँ महर्षि चित्त की वृत्तियों के सम्बन्ध में बता रहे हैं । 05 प्रकार की वृत्तियॉं गुणों के प्रभाव के कारण दो भागों में विभक्त की जा सकती हैं ; क्लिष्ट और अक्लिष्ट ।
👌सात्त्विक गुण प्रभावित वृत्ति अक्लिष्ट कहलाती है और राजस - तामस गुण प्रभावित वृत्ति क्लिष्ट वृत्ति कहलाती है।
👍 जबतक वृत्तियों का आवागमन निर्मूल नहीं होता तबतक चित्त निर्मल नहीं हो सकता और बिना निर्मल चित्त सत्य की अनुभूति का उदय होना संभव नहीं ।
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