[क] दस गुरुओं के साधनाओं का फल ......
[ख] सत्रह भक्तों की अनुभूतियों का रस ....
[ग] पंद्रह परमं भक्तों की वाणियों का सुर ...
[घ] भाई मरदाना जैसे परम भक्त की धुनें ........
[च] दो सौ उन्तालिश वर्षों के भक्तों की अनुभूतियाँ .....[घ] भाई मरदाना जैसे परम भक्त की धुनें ........
[छ] 1430 पृष्ठों में फैला ......
[ज] जिसमें नौ सौ चौहत्तर तीसरे गुरु श्री अमर दास की वानियाँ हैं ....
[झ] जिसमें दुसरे गुरु श्री अंगद जी साहिब की 63 वानियाँ हैं .......
जो आखिरी गुरु श्री गोबिंद जी साहिब के निर्देशन भाई मणि सिंह द्वारा लीपी बद्ध हो ..
वह है -----
परम पवित्र श्री ग्रन्थ साहिब - जिसका प्रारम्भ आदि गुरु श्री नानक जी साहिब के मूल मंत्र से होता है ।
आगे के अंकों में हम गीता के आधार पर श्री गुरु ग्रन्थ साहीब के कुछ अंशों को देखनें जा रहे हैं , जिसमें आप आमंत्रित हैं ।
श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में हमें जो गीता के लगभग 200 सौ श्लोक दीखते हैं , जिनको आप आगे देखेंगे ।
परम ऊर्जा का श्रोत , परम पवित्र श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में दस गुरुओं की आत्माएं बसती हैं और अन्य और कोई ऐसा ग्रन्थ नहीं जहां एक नहीं अनेक दुर्लभ गुनातीत योगियों की अनुभूतियों का संग्रह हो । आप को श्री ग्रन्थ साहिब के माध्यम से एक में अनेक की झांकी आगे देखनें को मिलेगी ।
आगे आप को मिलेगा श्री जपजी साहिब , उम्मीद है आप जपजी साहिब के माध्यम से आदि गुरु नानक जी साहिब के प्रसाद को प्राप्त करनें में सफल होंगे ।
==== एक ओंकार सत नाम =====
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