Monday, March 8, 2010

गीता ज्ञान - 97

गीता के आठ श्लोक

[क] गीता सूत्र - 7.20 , 18.72
कामना - मोह [ राजस गुण - तामस गुण ] अज्ञान की जननी हैं ।
[ख] गीता सूत्र - 4.10
राग , भय एवं क्रोध रहित ब्यक्ति , ज्ञानी है ।
[ग] गीता सूत्र - 2.52
मोह बैराग्य में कदम नहीं रखनें देता ।
[घ] गीता सूत्र - 14.7, 14.17
कामना राजस गुण से और मोह तामस गुण से उत्पन्न होते हैं ।
[च] गीता सूत्र - 6.27
राजस गुण प्रभु मार्ग का मजबूत अवरोध है ।
[छ] गीता सूत्र - 5.13
मनुष्य के देह में नौ द्वार हैं ।
गीता के आठ श्लोक हमें कौन सी राह दिखा रहे हैं ?
हम गीता के श्लोकों पर कोई अपना मत देना नहीं चाहते क्योंकि हमारे पास इतनी क्षमता नहीं है , लेकीन दिन भर गीता में ढूढनें पर हमें जो मिलता है , हम चाहते हैं उन्हें आप तक
पहुचाना । आदि शंकराचार्य से आइन्स्टाइन तक को आप गौर से देखें , ऐसा करनें से एक बात सामनें आती है ---
मनुष्य अनजानें में प्रभु को खोज रहा है और जिस दिन उसे प्रभु का होना एह्शाश हो जाता है उस दिन वह परम आनंद में आजाता है , लेकीन उसकी यह स्थिति ज्यादा देर तक रुक नहीं पाती क्योंकि उसके मन - बुद्धि पर गुणों का प्रभाव छा जाता है ।
गीता कहता है --- करनें के बाद क्या सोचते हो , करनें के पहले सोच की तुम क्या और क्यों करनें जा रहे हो ?

=====ॐ=======

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