Tuesday, March 9, 2010

गीता ज्ञान - 99

गीता के 11 श्लोक

गीता सूत्र - 7.4 - 7.6 , 13.5 - 13.6 , 14.3 - 14.4
सूत्र कहते हैं ...... प्रभु से प्रभु में तीन गुणों की माया है , माया से माया में दो प्रकृतियाँ हैं - अपरा एवं परा ।
अपरा में आठ तत्त्व हैं - पञ्च महाभूत , मन , बुद्धि एवं अहंकार और चेतना , परा प्रकृति है ।
जब अपरा - परा आपस में मिलते हैं और वहाँ ऐसी ऊर्जा बनती है जो आत्मा - परमात्मा को अपनें में
कैद कर सके , तब जीव का होना संभव होता है ।
गीता सूत्र - 7.12 - 7.15
सूत्र कहते हैं ....... तीन गुण प्रभु से हैं , उनके भाव भी प्रभु से हैं लेकीन प्रभु गुनातीत - भावातीत है ।
गीता सूत्र - 7.20
सूत्र कहता है ....... मायामुक्त योगी दुर्लभ होते हैं ।
अब हम सोच सकते हैं -------
गीता - योगी के पास कोई क्यों नहीं रुकता ?
जहां न तन हो , न मन हो , बुद्धि प्रभु पर स्थिर हो वहाँ कोई क्यों और कैसे रुकेगा ?
गीता - योगी किसी को ........
न कुछ देता है ----
न कुछ लेता है ----
वह तो द्रष्टा होता है ।

=====ॐ=====

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