Tuesday, March 30, 2010

श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी एवं गीता - 14

मूल मंत्र सूत्र - 6 .... अकाल मूरत

अकाल मूरत शब्द का क्या भाव है ?
[क] कैथोलिक के डूम्स - दिन .....
[ख] कुरान शरीफ के क़यामत के दिन .....
[ग] विज्ञान में बिग बैंग ......
[घ] विज्ञान में बिग क्रंच .....
और गीता में ......
गीता श्लोक 8.17 - 8.22 तक की समझ का नाम है -----
अकाल मूरत [ timelessness ]

अकाल मूरत एक अति शूक्ष्म माध्यम है जिस से एवं जिसमें ------
** बिग बैंग एवं बिग क्रंच की घटना घटती है
** जिस से एवं जिसमें क़यामत के दिन की घटना घटती है
** जिसमें dooms day की घटना घटती है
** और जो ब्रह्मा के दिन की समाप्ति एवं ब्रह्मा की रात का आगमन का द्रष्टा है ।
जपजी साहिब का अकाल मूरत एक द्रष्टा एवं साक्षी है जो निराकार है और जिस से एवं जिसमें सब होनें वाले हो - हो कर उसमें ही बिलीन भी होते रहते हैं ।
अकाल मूरत गीता का अब्यक्त भाव , परम अक्षर , एक अक्षर एवं ब्रह्म है जिस से टाइम स्पेस है और जो
टाइम स्पेस में है , टाइम स्पेस से प्रभावित नहीं है और जो -----
टाइम - स्पेस से परे भी है ।

==== एक ओंकार सत नाम ======

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