Thursday, March 18, 2010

श्री गुरु ग्रन्थ साहिब एवं गीता - 3

आदि गुरु की परम पवित्र यात्रा

आदि गुरु श्री नानकजी साहिब द्वारा परम की भक्ति का गाया हुआ परम भाव का नामकरण किया श्री गुरु अंगद जी साहिब - जपजी और परम श्री कृष्ण गीता में कहते हैं -- यज्ञों में जप यज्ञ मैं हूँ अर्थात .....आदि श्री ग्रन्थ साहिब का प्रारम्भ ही यज्ञों का यज्ञ है ।

आदि गुरु श्री नानक जी साहिब , मीरा और श्री कबीर जी साहिब सन 1498 - 1518 तक पंजाब से जेरुसलेम्म तक , मथुरा से द्वारिका तक एवं काशी से काबा तक की धरती परम प्यारों की गुनगुनाहट को पीती रही और हम - आप उस परम धुन के एक - एक कण के लिए प्यासे एक जगह से दूसरी जगह भाग रहे हैं , यदि इतना जान लेते की वह गुनगुनाहट आज भी है - गुरु की वाणियों में तो हम सब की भाग - दौर का अंत हो जाता ।
क्या आप कभी सोचते हैं , नानक जी पंजाब से काबा तक की यात्रा क्यों किया ?
परम पवित्र ऊर्जा से परिपूर्ण सिद्ध योगी यात्रा नहीं करता , परम ऊर्जा से परिपूर्ण सिद्ध योगियों के क्षेत्र ऐसे गुनातीत परम प्यारे सिद्ध योगियों को बुलाते हैं जैसे आदि श्री गुरु नानक जी थे ।
ऊर्जा क्षेत्र जहां भूत काल में सिद्ध - योगी लोग तप , जप और ध्यान किये हुए होते हैं , वह क्षेत्र उनकी उर्जाओं से परिपूर्ण हो गया होता है लेकीन भोगी लोग ऐसे परम पवित्र क्षेत्रों की निर्विकार ऊर्जा के ऊपर विकार ऊर्जा की चादर डालते रहते हैं , फल स्वरुप ऐसे क्षेत्र आनें वाले खोजिओं के ऊपर कोई गहरा प्रभाव नहीं डाल पाते । ऐसे क्षेत्र सिद्ध योगियों को अपनी ओर खीचते हैं और सिद्ध योगी वहाँ - वहाँ जा कर उन - उन
क्षेत्रों को चार्ज करते हैं ।

आदि गुरु नानक जी की काशी से कर्बला , पूरी से काबा आदि यात्राएं , सिद्ध योगी के उनके साधना का एक भाग है ।
आप आदि गुरु नानक जी की यात्रा के मार्ग को देखें आप देखेंगे -----
काशी , जहां पांच सिद्ध योगियों की आत्माएं हर वक्त रहती हैं जो ध्यानियों की मदद
करती हैं , कर्बला हुसेन साहिब की जगह है और वह क्षेत्र अल कुफा का क्षेत्र है जो सूफी फकीरों की आत्माओं का अति सघन क्षेत्र है और जो आज भी एक राज है । नानक जी ईराक में जिस मार्ग से गुजरे हैं वह भाग बैबीलोंन - सुमेरु सभ्यता का क्षेत्र है जहां से ज्योतिष - गणित का जन्म हुआ है । मक्का , मदीना एवं जेरुसलेम में मोहम्मद साहिब , जेसस क्रिष्ट एवं मूसा जी का क्षेत्र है और दुनिया का अति प्राचीनतम ऐतिहाहिक क्षेत्र है ।
भारत भूमि पर गुरुबानियों को गुनगुनाते हुए आप अमृतसर - हरमंदर साहिब से काशी तक की यात्रा करें
हो सकता है आप को रास्ते में कहीं आदि गुरु नानक जी साहिब का दर्शन हो जाए ।
गुरु आप के साथ हर पल है लेकीन -----
क्या आप भी उसका नमन करते हैं ?

=====एक ओंकार सत नाम =====

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