Saturday, March 7, 2009

ध्यान-गीता--३

गुणक्या हैं ?
विज्ञानकी खोज अस्थिर कण क्वार्क्स से पूरे ब्रह्माण्ड तक फैली हुयी है , उस राज को पानें केलिए जिसको विज्ञान अभींभी नहीं जानता लेकिन इतना अवश्य समझता है कि वह है जरुर वैज्ञानिक कहते हैं----क्वार्क्स जोडों में पाए जाते हैं , जब उनको अलग किया जाता है तब उनके बीच का आपसी खिचाव बड़नें लगता है जैसे परिवार का एक सदस्य जब परिवार से दूर हो जाता है तब परिवार का लगाव उसके प्रति बड़ जाता है विज्ञान प्रकृतके मूल भूत उस नियम को जानना चाहता है जिससे श्रजन- कार्य चल रहा है लेकिन नोबल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक Max Plank कहते हैं-----विज्ञान कभीं भी प्रकृत को नहीं पकड़ सकता वैज्ञानिक जब सोचनें लगता है कि अब एक कदम की दूरी और बाकी है लेकिन जब अगला कदम भर लेता है तब उसको पता चलता है कि वह पहले से भी दो कदम और पीछे है---उसकी यह स्थिति उसे और तनहा बनाकर छोड़ देती है
चेतना का फैलाव सत्य से जोड़ देता है लेकिन गुणों से निर्मित माया चेतना को फैलानें नहीं देती गीता की माया ठीक उस तरह से है जैसे विज्ञान में डार्क-उर्जा सम्पूर्ण ब्रहमांड में ब्याप्त है और सभी सूचनाओं को दूर भगा रही है गुणों की साधना माया-गुरुत्व के बिपरीत चलनें की यात्रा है इस यात्रा पर उतरा योगी परिणाम के बारे में नहीं सोचता यह यात्रा एक अंत हीं एवं परिणाम रहीत यात्रा है सदियों बाद कोई एक बुद्ध अवतरित होता है
क्या आप जानते हैं कि ----सन 1642 में गैलेलियो की मृत्यु हुई थी और sir issac newton का जन्म हुआ था तथा सन 1879 में माक्सवेल की मृत्यु हुई थी और प्रो.आइंस्टाइन पैदा हुए थे ----आप इन चार वैज्ञानिकों के जीवन को पड़ें , आप को गीता श्लोक
8.6,15.8 का राज स्पष्ट हो जायेगा गीता कहता है---सघन अतृप्त सोच आत्मा को नया शरीर धारण करनें के लिए बाध्य करती है और गमन करते आत्मा के साथ मन भी होता है जो
सभी कामनाओं का संग्रह करता है
गीता-गुण रहस्य अपनें में वह रहस्य छिपा रखा है जो कल का विज्ञान है, जिसदिन
विज्ञान गुण-रहस्य को अपनें प्रयोगशाला में एक प्रमुख शोध-बिषय बना लेगा उस दिन एक परम-बिज्ञान की नीव रखी जायेगी अब आप विज्ञान की दो बातों को देखिये ................
A- अमेरिका के वैज्ञानिक कहते हैं----पुरूष एवं स्त्री के हृदयों के स्वभाव अलग- अलग होते हैं
B- अंगों के बदलनें पर स्वभाव भी बदलते हैं अब हम गुणों के सन्दर्भ में इन दो बातों को देखते हैं
स्त्री-पुरूष के ह्रदय
स्त्री के ह्रदय में कुछ इस प्रकार की ब्यवस्था है जिस से वह मर्ज को छिपा लेता है और प्रचलित बिधियों से उन्हें नहीं पकड़ा जा सकता --इस समस्या को हल करनें के लिए वैज्ञानिक एक नयी विधि विकसित किए हैं जिसको eschemia syndrome evaluation कहते हैं अब आप समाज पर निगाह डालें....समाज में karm-करता पुरूष है लेकिन पुरूष की कमजोरी औरत है --पुरूष औरत से कुछ नहीं छिपा सकता , अपना सारा राज उसके सामनें रख देता है लेकिन आदमी अपने स्त्री के राज को कभीं भी नहीं जन सकता आज का समाज स्त्री-पुरूष को बराबर कर रहा है जो प्रकृत के प्रतिकूल है
अंग और स्वभाव
एरिजोना विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को अब पता चला है कि जब अंग बदले जाते हैं तब उनके साथ स्वभाव भी बदल जाते हैं जैसे एक ब्यक्ति जो शराब पिनें का आदी है जब उसका ह्रदय किसी ऐसे ब्यक्ति को लगा दिया जाता है जो कभीं भी शराब को हाथ नहीं लगाया था वह ब्यक्ति ठीक होनें के बाद शराबी हो जाता है गीता कहता है कि मनुष्य के प्रतेक कण में तीन गुणों होते हैं तथा गुणों के साथ मन,बुद्धि एवं अंहकार भी होते हैं अतः जब कोई अंग एक ब्यक्ति से दूसरे ब्यक्ति में लगाये जाते हैं तब उसके स्वभाव का बदलना स्वाभाविक है आगे अगले अंक में इस रहस्य को देखेगे

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