Monday, March 2, 2009

द्वारिका

द्वारिका क्या है?
गुजरात के पश्चिमी तट पर अरब-सागर को निहारता वह स्थान जहाँ परम श्री कृष्ण रहे-उसके राजा के रूपमें आज द्वारिका एक रहस्य है और लगता है,कल भी यह रहस्य ही बना रहेगा ISRO अपनें अनुशंधानके आधारपर यह कहता है--मूल द्वारिका राजकोट,जामनगर,सुरिंदरनगर तथा रन आफ कच्छ के पश्चिमी तट पर कहीं भी हो सकता है
सन 2004 में हिंद-महा सागर में तुशामी-लहरों की स्मृति हम-सब के दिमाकमें आज भी ताज़ी है कहते हैं--इस तूफ़ान में अंदमान-निकोबार द्वीप का आखिरी इंदिरा-पॉइंट का 100 वर्ग किलो मीटर समुन्द्र में लुप्त हो गया और मॉल द्वीप में 1192 कोरल-टापुओं में से 42 टापू तो पूर्ण रूप से समाप्त ही होगये वैज्ञानिक यह कहते हैं--जावा-सुमात्रा एवं अंदमान-निकोबार की दूरी लगभग आधी इंच कम हो गई है
भारतीय मूल के कनाडियन वैज्ञानिक डाक्टर टाडापल्ली क्रिसनामूर्ती की गणित कहती है-
सन 2060 तक इस बात की पुरी संभावना है ,अरब-सागर में गुजरात के पश्चिमी तट के समीप भयंकर तुशामी - लहरें उठेंगी और गुजतात का अधिकांश तटीय भाग समुद्र में समां जायेगा
हमारी पौराणिक कहानियाँ जैसे मत्स-पुराण बताती हैं की परम श्री कृष्ण के शरीर छोडनें पर मूल-द्वारिका समुद्र में लुप्त हो गया था,हो सकता है उस समय भी तूशामी लहरों का कहर उठा रहा हो
मीरा[1498-1546] वैज्ञानिक नहीं थी लेकिन वर्तमान द्वारिका में उन्हें परम श्री कृष्ण मिलगये,यदि आप मूल द्वारिका को पाना चाहते हैं तो आप यात्रा पर उतरिये--सोम नाथ से अपनीं यात्रा प्रारंभ करें और समुद्र-तट से नारायण सरोवर तक की यात्रा करें यात्रा के मध्य आप को पूरी तरह से ध्यान में डूबना होगा तब आप मूल-द्वारिका को देख पायेंगे और परम श्री कृष्ण से भी मिल सकते हैं क्या सोच रहें हैं?
चलिए आप को मूल-द्वारिका पुकार रहा हैयही आप की आस्था परम में है तो आप को मथुरा,गोकुल और
द्वारिका से परिचित होना ही पड़ेगा

No comments:

Post a Comment

Followers