Saturday, March 7, 2009

गुणों का रहस्य

  1. C.G.Jung[1875-1961] कहते हैं........हर नर में नारी होती है और हर नारी में नर होता है ---इस सिद्धांत के आधार पर आज शल्य - चिकित्सक लिंग परिवर्तन कर रहे हैं जुंगको विश्व की सभीं प्रचलित आदि भषाओं का ज्ञान था और वेद-उपनिसद में उनकी ज्यादा दिलचस्बी थी
  2. लेकिन भारत में हजारों सालों से अर्धनारेश्वरकी पूजा की जा रही है पर इस पूजा में छीपे विज्ञानको यहाँ के लोग नहीं पकड़ पाए ------क्या कारणहो सकता है ?
  3. गुणों को समझनें के लिए आप गीता के निम्न श्लोको को देखें

-6.27 2.52 7.14 18.40 13.21 7.4 7.5 7.6 14.3 14.4 18.61 13.17

10.20 14.5 14.10 3.27 3.33 8.3 7.12 7.13 14.19 14.22 14.6 14.7

14.17 2.45 2.54 2.55 256 14.23 6.30 6.29 2.69 2.58 2.68 2.15 13.5

13.6

यहाँ आप को गुण - सारांश कुछ इस प्रकार से मिलता है ---------------

# माया से माया में मनुष्य है और प्राकृत से जो भी ग्रहण करता है उस से तीन गुण मिलते हैं

# परमात्मा गुणों से परे है लेकिन गुण परमात्मा से हैं .......गीता-7।12

# आत्मा को तीन गुण शरीर में रोक कर रखते हैं .............गीता- 14।5

# गुणों से स्वभाव बनता है तथा स्वभाव से कर्म होते हैं ......गीता-3।33,18.59,18.60

# पूरे ब्रह्माण्ड में एक भी कोई ऎसी सूचना नहीं है जिसमें तीन गुणों का समीकरण न हो ........

गीता-------14।10

# हमारे अंदर का गुण समीकरण हमारे खान,पान तथा रहन-सहन से हर पल बदलता रहता है

.........गीता---13.21

# गीता के गुण - विज्ञान पर आप को कुछ और बातें आगे बताई जायेंगी

------ॐ -------

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