सन्दर्भ - सूत्र
15.17, 3.22 संसार तीन लोकों में बिभक्त है ।
15.2, 15.1, 15.3 संसार सीमा रहित एवं अविनाशी है ।
8.16 सभीं लोक पुनरावर्ती हैं ---आज हैं , कल नहीं होंगे और कहीं बन
भी रहे हैं ।
13.33 सूर्य सभींलोकों में प्रकाश का श्रोत है ।
7.8 15.12 सूर्य-चंद्र प्रकाश परमात्मा है ।
10.21 सूर्य एवं चंद्रमा परमात्मा हैं ।
15.6 परम धाम में प्रकाश सूर्य से नहीं होता यहाँ परमात्मा प्रकाश
है।
आप गीता के इन श्लोकों को गहराई से देखें आप को पता चल जाएगा की क्या
सत्य है और क्या असत्य है ।
परमात्मा से परमात्मा में तीन लोक--पृथ्वी,देव-लोक और ब्रह्म-लोक हैं । पृथ्वी को मृयु लोक भी कहते हैं । यदि गीता की बात सत्य है तब हमें यह भी सोचना चाहिए की देव-लोक एवं ब्रह्म-लोक भी हमारे ही सौर्य -मंडल में ही हैं । यदि पूरे ब्रह्माण्ड की सभीं सूचनाएं परमात्मा से परमात्मा में हैं तो सभीं सूचनाओं में परम-प्रकाश होना चाहिए , इस सम्बन्ध में आप jack sarfatti की बात पर भी सोचे जो इस प्रकार है ----------matters are gravitationally trapped light.
परम-प्रकाश को सभीं सूचनाओं में देखा सकता है यदि ----------------
आप को ब्रह्म की खोज का नशा हो ।
Saturday, March 21, 2009
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