जन्म से माँ से बिछुड़ा बच्चा माँ की गोदी की तलाश जीवन भर करता है ....क्यों?
विज्ञानं की राय
विज्ञानं में एटम एक इतना छोटा कण है जिस को आँख से देखना कठिन है। एटम का एक नाभि-केन्द्र होता है
जिसमें दो कण --प्रोटोन एवं नयूत्रोन होते हैं। प्रोत्रोन -नयूट्रआन क्वार्क्स जोडों से बनें होते हैं। एटम के चारों
तरफ़ एलेक्ट्रोनउसका चक्कर लगता रहता है। अब कण वैज्ञानिक कह रहे हैं ---सभी पदार्थों की रचना छःजोड़े
लेप्तोनसे होती है --लेप्तोन भी क्वार्क्स की तरह अस्थिर अति छोटे कण हैं। विज्ञानं में पदार्थो की रचना जोड़े कडोंसे
हुयी मानी जाती है और सृष्टीनर-मादा जोड़े से आगे चलती है।
प्रकृत की सृजनता को समझो
विज्ञानं कहता है ......
एटोमिक - फिजनमें दो हलके कण आपस में जब जुड़ते हैं तब बहुत उर्जा निकलती है और दो मिल कर एक भारी
कण का निर्माण करते हैं। सृष्टि में दो कण जब मिलते हैं तब उनमें एक और कण आ मिलाता है जिसको जीवात्मा कहते हैं। जीवात्मा में मन,बुद्धि एवं चेतना होती है। जीवात्मा को हम आगे चल कर बिस्तार से देखेंगे।
विज्ञानं सिंगल फीजन की बात करता है लेकिन प्रकृत में डबल फीजन होता है।
विज्ञानं कण-भौतिकी में एटम में नाभि-केन्द्र का चक्कर एलेक्ट्रोन लगाते रहते हैं और यदि एक
से अधिक एलेक्ट्रोन हों तो वे आपस में अपने द्वारा उत्पादित फोतोंसके माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान
भी करते हैं।
माँ-बच्चे में क्या होता है?
माँ की गोदी का बच्चा गोदी से जुदा होनें पर जीवन भर गोदी को खोजता रहता है। माँ बच्चे का नाभि-केन्द्र होती है, बच्चा उसका एलेक्टोंन होता है जो अपने नाभि-केन्द्र को खोजता रहता है। अब हम एक और
पहलू पर विचार करते हैं, माँ - बच्चे की चेतनाओं से चेतन- कण निकलते रहते हैं जो आपस में चेतन मयी
सूचनाओं का आदान-प्रदान करते रहते हैं जिसका पता इन्द्रीओं को नहीं चल पता लेकिन भावात्मक संवेदना
दोनों के हृदयों में बहती रहती है। विज्ञानं का एटम अपनें एलेक्त्रोंन को अपनी तरफ़ खिचता रहता है और माँ का
चेतन मय कण अपनें बच्चे को पुकारता रहता है।
आप क्या माँ की गोदी को भला भुला सकते हैं?
ॐ
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