Saturday, January 2, 2010

गीता ज्ञान - 41

संसार यदि एक माला है तो परमात्मा उस माले का सूत्र है ----गीता श्लोक ...7.7

आप गीता को ले कर कुछ दिन उसके साथ गुजारे और केवल उन श्लोकों को देखें जिनका सीधा सम्बन्ध
परमात्मा से है । जब आप ऐसा करेंगे तो जो आप को मिलेगा वह कुछ इस प्रकार से होगा -------
[क] लगभग 80 से अधिक श्लोक परमात्मा को स्पष्ट करनें की कोशिश करते हैं ।
[ख] लगभग 150 ऐसे उदाहरण मिलेंगे जो यह बतानें का प्रयत्न करते हैं की परमात्मा क्या है ?
लेकीन जो निष्कर्ष निकलता है वह है -----
[क] परमात्मा की अनुभूति मन - बुद्धि सीमा में नहीं है ।
[ख] भोग-भगवान को एक साथ एक बुद्धि में रखना असंभव है ।
[ग] ब्रहमांड के कण-कण में परमात्मा है ।
[घ] यह ब्रह्माण्ड परमात्मा से परमात्मा में है ।
जो बाते आप को ऊपर बताई गयी हैं उनके समर्थन में आप इन सूत्रों को देखें -----
2.42 - 2.44 , 12.3 - 12.4 , 13.15 , 11.37 , 9.19 , 13.12 , 10.24 - 10.25 , 10.31 ,
गीता द्वैत्य में आस्था रखनें वालों को कहता है ----
हिमालय से सागर तक की यात्रा में तूम गंगा के साथ रहो और जब तूम ऐसा करनें में सफल हो जाओगे तब तेरे को पता चलेगा की सागर की लहरों में जो तूफ़ान है वह सागर के अन्दर छिपी परम शांति से है और वह शांति तेरे अन्दर भी है ।
मनुष्य द्वैत्य में रहना चाहता है और मन दो को एक साथ रख नहीं सकता --यह समस्या मनुष्य को परेशान रखती है । मूर्ती की पूजा करनें वाला पुजारी की पूजा तब तक अधूरी रहती है जबतक वह मूर्ती को देखता रहता है । मूर्ती देखते-देखते जब मूर्ती अब्यत हो जाती है तब उसकी पूजा सफल होती है जिसको वह स्वयं ब्यक्त करनें असफल होता है ।

तोता पूरी जी परम हंस श्री रामकृष्ण के माथे पर चीरा लगा कर , खून निकाल कर क्या किया था ?
श्री रामकृष्ण द्वैत्य में रुके थे और तोता पूरी जी उनको द्वैत्य के माध्यम से अद्वैत्य में पहुंचा दिया ।
मूर्ती और पूजा दोनों साथ -साथ नहीं रह सकते --यह बात तो कुछ अलग सी है पर है सत्य , आप इस पर सोचना । एक आदमी अपनें मन में अपनें घर और मंदिर को एक साथ कैसे रख सकता है ? और यही बात गीता सूत्र 2.42 - 2.44 तक में, गीता कहता है ।

गीता , सूत्र 7.7 में , परमात्मा को सूत्र और संसार को माला कहता है लेकीन यह बात अधूरी है ; माला के हर एटम में परमात्मा है और सच्चाई यह है की माला सूत्र से सूत्र में होता है । माले में सूत्र और मणियों को अलग-अलग नहीं समझना चाहिए ।

=====ॐ======

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